Monday, May 20, 2024
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ओलंपिक में महिला हॉकी टीम मैडल के करीब, जानिए क्या कहा मथुरा की हॉकी महिला खिलाड़ियों ने

मथुरा। टोक्यो ओलंपिक में महिला हॉकी टीम ने सेमीफाइनल में जीत हासिल कर लिया है। देश की महिला हॉकी टीम मैडल से बस एक कदम पीछे हैं। देश की महिला हॉकी टीम की जीत को लेकर मथुरा की महिला हॉकी टीम में गजब का उत्साह है। मथुरा की महिला हॉकी खिलाड़ियों ने भारतीय टीम को शुभकमानाएं दी हैं। आइए जानते हैं मथुरा की महिला हॉकी खिलाड़ियों ने क्या कहा-

केआर कॉलेज की महिला हॉकी टीम की कैप्टन प्रीती ने नियो न्यूज से हुई विशेष बातचीत में कहा कि टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम ने विश्व की कई बड़ी टीमों को हराकर सेमी फाइनल में कदम रखा है। ऐसा हॉकी के इतिहास 48 साल बाद हुआ है। इससे भारतीय टीम के मैडल लाने की उम्मीद और ज्यादा हो गई है। निश्चित ही भारतीय टीम हॉकी जीतकर ही आएगी।

महिला हॉकी टीम की कैप्टन प्रीती

हॉकी टीम की खिलाड़ी वैशाली भारद्वाज ने कहा कि देश की महिला हॉकी टीम टोक्यो में सेमी फाइनल में पहुंच गई। यह भी देश के लिए बड़ी उपलब्धि है। लगातार जीत से निश्चित ही मेडल इस बार टीम मेडल जीत कर लाएगी।

वैशाली भारद्वाज


महिला खिलाड़ी शिवानी चौधरी का कहना है कि इस बार उम्मीद ही नहंी पूरा विश्वास है भारत भारत के लिए महिला हॉकी टीम मेडल जीत कर ही लाएगी। महिला हॉकी टीम इस बार इतिहास रचने जा रही है। ऑस्टे्रलिया को हराकर फाइनल तक पहुंचना। अब बस मेडल से भारतीय टीम एक कदम दूर है।

शिवानी चौधरी

केआर कॉलेज की महिला हॉकी टीम के कोच दलवीर सिंह ने बताया कि टोक्यो ओलंपिक में इस बार महिला हॉकी टीम ने जो मैच जीते हैं, इससे मेडल जीतने की उम्मीद और अधिक हो गई है। भारतीय टीम ने क्वाटर फाइनल में ऑस्टे्रलिया को हराया। ऑस्टे्रेलिया भी दुनिया की नंबर वन टीम रही है।

महिला हॉकी टीम के कोच दलवीर सिंह

इससे उम्मीद कर सकते है कि भारतीय टीम निश्चित ही मेडल लेकर आएगी। देश में 1980 से महिला हॉकी की शुरुआत हुई। जब से पहली बार ऐसा मौका मिला है कि हम टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतने के मुकाबले में हैं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनोबल बहुत ऊपर होना चाहिए। इसके बाद फिटनेस लेबल, प्रैक्टिस, स्किल्स होते है। लेकिन उस लेबल पर जाकर आपको मनोबल ऊपर रखना चाहिए।


उन्होंने बताया कि महिला हॉकी खिलाड़ियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खिलाड़ियों के अभिभावकों को बार-बार समझाना पड़ता है। उन्हें चिंता रहती है कि वह सुरक्षित हैं कि नहीं। बड़ी मुश्किल से समझाबुझाकर उन्हें ग्राउंड तक लाना होता है। पहले तो बच्चे घर से निकलकर ग्राउंड तक आ जाए यही सबसे बड़ी चुनौती है।

उन्होंने कहा कि महिला हॉकी टीम खड़ा करने में सबसे बड़ी भूमिका माहौल की है। जो कि यहां कम ही देखने को मिलता है। यदि बच्चे मैदान तक आ जाएं तो संसाधन हम जुटा भी सकते हैं। संसाधन भी कमी है। क्यों कि आजकल जो हॉकी हो रही है, वह एस्कोटस पर हो रही है, जबकि मथुरा और आगरा में भी एस्कोटस नहीं है।
कोच दलवीर सिंह ने कहा कि यह टोक्यो से मैडल जीत कर लाना बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। वह और उनकी टीम जीत से पहले ही बधाई देना चाहेंगे और उनकी जीत के लिए ईश्वर से भी प्रार्थना करेंगे।

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