कभी छोटी-छोटी गलतियां जीवन की बड़ी समस्या बन जाती है। जिनको कभी सुधार करने चाहत होते हुए भी सुधारने का मौका दोबारा नहीं मिलता है। यह सीख रामायण में भी देखने को मिली होगी। इसके बारे में तो अपने टीवी में देखा होगा या बड़े बुजुर्गो से कहानी में सुना होगा। वैसे तो लोग रामायण के दो तीन किरदारों के बारे में ज्यादा जानते है। रामायण काल के कुंभकर्ण के बारे में तो सभी लोग जानते होंगे।
रामायण में कुम्भकरण का महत्वपूर्ण योगदान था। ये बात तो आपको पता होगी की कुम्भकरण साल में 6 महीने सोता रहता था। लेकिन क्या आपको पता है कि कुंभकर्ण इतनी लंबी नींद में क्यों गया। तो आइये जानते हैं कुंभकर्ण के 6 महीने तक सोने का राज़।
कुंभकर्ण बहुत बुद्धिमान और बहादुर था। इसके लिए इंद्र ने कुंभकर्ण से बदला लेने के लिए सही समय का इंतज़ार कर रहे थे। तीनों भाई रावण, कुंभकर्ण और विभीषण ने ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ किया। यज्ञ से प्रसन्न होके तीनो भाइयों को वरदान देने के लिए ब्रह्मा प्रकट हुए। और उन्होंने ने कुंभकर्ण से पूछा की उसे क्या वरदान चाहिए। तब कुंभकर्ण ने कहा कि उसे इंद्रासन चाहिए लेकिन उसके मुँह से निद्रासन निकला।
जब कुंभकर्ण ने इंद्रासन की बजाये निद्रासन कहा तब उसे अपनी गलती का अहसास हुआ की उसने क्या कहा दिया। जब तक उसे कुछ समझ आता ब्रह्मा तथाअस्तु बोल चुके थे। हालांकि की कुंभकर्ण ने कहा कि उसकी इच्छा पूरा ना करें लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। तभी से कुंभकर्ण 6 महीने की नींद में चले जाने के बाद फिर से 6 महीने के बाद तग जगता रहा और उसे जो कुछ भी प्राप्त हुआ वह उससे अपनी भूख मिटाता रहा।