आजु बधायौ ब्रजराज के रानी जायौ मोहन पूत
नंदगांव। कस्बे के प्रसिद्ध नंदबाबा मंदिर में सोमवार की मध्य रात्री को योगीराज भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया। इस अवसर पर देश विदेश से आए हजारों श्रद्धालुओं ने लाला के दर्शन कर खुद को धन्य किया। वहीं बरसाना से आए गोस्वामी समाज ने समाज गायन कर नंदबाबा व यशोदा मैया को लाला के जन्म की बधाई दी।
दोपहर लगभग साडे बारह बजे नंदगांव के गोस्वामीवृंदों द्वारा नंदभवन में अष्टछाप के कवियों एवं अन्य महानुभावों की वाणियों का गायन किया गया। समाज गायन का दौर लगभग तीन घंटे से अधिक चला। संध्या के समय बरसाना के लोग अपनी पारम्परिक वेशभूषा धोती,बगलबंदी से सुसज्जित हो नंदभवन पहुचें जिसके बाद दोनों गाँवों के गोस्वामीजनों के मध्य संयुक्त समाज गायन का दौर चला। इस दौरान लाला के जन्म की बधाइयाँ गायी गईं। समाज गायन के पश्चात बरसाना से आए गोस्वामी समाज को उपहार स्वरूप बधाई का लड्डू भेंट किया गया। रात्रि दस बजे मंदिर प्रांगण में ढांढ पुरोहित द्वारा नंदबाबा की वंशावली का बखान किया गया।
मध्यरात्रि को मंदिर में पंचामृत से लाला के श्रीविग्रह का गुप्त अभिषेक किया गया। भगवान के दर्शनों को देशी विदेशी श्रद्धालुओं का तांता लग गया।श्रद्धालु अभिषेक के दर्शन पाने के लिए लालायित रहे। पट खुलते ही नंदके लाला की जय ,यशोदा नंदन की जय से वातावरण गुंजायमान हो गया। श्रद्धालु एवं गेास्वामी समाज नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के पद का गायन करने लगे। देश के विभिन्न राज्यों के श्रद्धालु इस अलौकिक लीला के साक्षी बने। श्रद्धालुओं को धनियां पंजीरि,एवं पोतरा वितरित किया गया।
जन्माष्टमी पर भी खूब बंधी राखीयां
नंदगांव। स्थानीय परंपरानुसार नंदगांव में जन्माष्टमी पर भी बहिनें अपने भाइयों की कलाई पर राखियां बांधती हैं। कस्बे के अधिकांश गोस्वामी परिवार कामकाज के चलते बाहर रहते हैं। इसलिए जो भाई रक्षाबंधन पर अपनी बहन से रक्षासूत्र बंधवाने से छूट जाता है उसको इस पावन पर्व पर रक्षासूत्र में बंधने का सौभाग्य पुन: प्राप्त हो जाता है। जन्माष्टमी के अवसर पर बहिनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। यह समूचे भारत में एक अनूठी परम्परा है। एक अलग मान्यता के अनुसार जन्माष्टमी के दिन ही वृद्धावस्था में नंद के घर कन्हैया का जन्म हुआ। उस समय बहनों ने लाला के जन्म की प्रतिक्षा कर जन्म के दिन राखी बांधने का प्रण लिया था।
मन्दिर में होता है गुप्त अभिषेक
नंदगांव। नंदबाबा मंदिर में अभिषेक के दर्शन नहीं कराए जाते हैं। कृष्ण बलराम का शृंगार कर मां यशोदा के सिर पर प्रसूता की भांति पट्टी बांध दी जाती है। यहां अभिषेक के दर्शन नहीं होते तथा ठाकुर जी का गुप्त अभिषेक कराया जाता है । दर्शनों का सौभाग्य सेवायतों को ही प्राप्त होता है। शयन के समय नव प्रसूता के लिए औषधिप्रद वस्तुओं का भोग लगाया जाता है।
श्री कृष्ण जन्म से पूर्व हुए कार्यक्रम
शाम के लगभग साडे सात बजे मंदिर को बंद कर दिया गया। करीब आठ बजे नंदभवन में भजन संध्या का आयोजन। लगभग 10 बजे ढांढ ढांढन लीला का मंचन किया गया। नंदबाबा के पुरोहित ढांढ ने नंदबाबा की वंशावली का बखान किया। करीब साडे 11 बजे भगवान कृष्ण का गौदुग्ध,गौघृत,दही,शहद,खांड से अभिषेक किया गया। मध्यरात्री को 12 बजे अजन्मे के जन्म के दर्शन हुए।
रंग बिरंगी रोशनी से नहाया नंदभवन
नंदगांव। विश्व विख्यात नंदबाबा मंदिर को कान्हा के जन्मदिन पर दुल्हन की तरह सजाया गया।