Friday, April 26, 2024
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जीएलए बायोटेक के विद्यार्थियों ने किया एनआईपीजीआर का भ्रमण

-जीएलए बीटेक बायोटेक और बीएससी बायोटेक के छात्रों ने किया एनआईपीजीआर का भ्रमण

मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के विद्यार्थियों ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ
प्लांट जीनोमिक रिसर्च, नई दिल्ली का भ्रमण किया। विद्यार्थियां ने यहां विभिन्न प्रयोगशालाओं में स्थापित
आधुनिक मशीनों को देखा तथा उनके परिचालन के बारे में भी सीखा। विभिन्न उपकरणों के व्यावहारिक
कामकाज को सीखने के साथ-साथ अपनी षंकाओं को भी दूर किया।
एनआईपीजीआर डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी 1⁄4डीबीटी1⁄2 की एक स्वायत्त संस्था है। जिसका मुख्य
उद्देश्य प्लांट जीनोमिक्स और मालीकुलर बायोलॉजी उपयोग करके फसलों का उन्नतिकरण करना तथा
इस क्षेत्र में मेधावी वैज्ञानिक और रिसर्चर तैयार करना है। एनआईपीजीआर की इन्हीं बेहतर व्यवस्थाओं को
देखने, जानने, परखने और प्लांट जीनोमिक्स रिसर्च बारे में सीखने के लिए जीएलए विश्वविद्यालय के
बीटेक बायोटेक और बीएससी बायोटेक के विद्यार्थियों ने भ्रमण किया।
विजिट के दौरान एनआईपीजीआर के तकनीकी अधिकारी रत्नेशन ठाकुर ने प्रयोगशालाओं और उनमें
उपस्थित उपकरणों के बारे में जानकारी दी। वैज्ञानिक डॉ. आशीश रंजन ने विद्यार्थियों को बताया कि खाद्य
सुरक्षा एक बहुत ही महत्वपूर्ण विशय है और प्लांट बायोटेक्नोलॉजी इस चुनौती को उन्नत किस्म की फसलों
से हल कर सकता है। डॉ. रंजन ने विभिन्न छात्रवृत्तियों डीबीटी, जेआरएफ, सीएसआईआर-जेआरएफ के
बारे में भी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि संस्थान बीएससी और एमएससी अंतिम वर्ष
के विद्यार्थियों को 6 माह टेंनिंग भी प्रदान करता है।
विद्यार्थियों ने एनआईपीजीआर में प्रोटियोमिक्स लैब, मेटाजिनोमिक्स लैब, कनफोकल माइक्रोस्कॉपी लैब एवं
बेसिक इंस्टूमेंटेशन लैब को भी देखा। लैबों में स्थापित आधुनिक उपकरण पीसीआर, एलसी-एमएस,
जीसी-एमएस, एचपीएलसी, एचपीटीएलसी, रियल टाइम पीसीआर एवं रोबोटिक ग्राइंडर के बारे में काफी
अध्ययन किया।
भ्रमण से लौटे विद्यार्थियों को विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने बधाई देते हुए कहा कि इस भ्रमण से
विद्यार्थियों के द्वारा किए जाने वाले बेहतर रिसर्च की संभावनाएं बढ़ी हैं। आगे भी जीएलए एनआईपीजीआर

के साथ मिलकर प्रोजेक्ट्स और रिसर्च पर कार्य करेगा। यह भ्रमण विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.
सुखेन्द्र सिंह, डॉ. स्वरूप पांडेय एवं डॉ. हिमांशु गुप्ता के दिशा-निर्देशन में संपन्न हुआ।

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