Friday, May 17, 2024
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संस्कृति विवि के छात्रों ने संकल्प पूरा करने को चलाया अभियान

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थियों द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस पर लिए गए संकल्प के अनुसार विश्वविद्यालय को हराभरा और पालीथिन से मुक्त वातावरण देने का अभियान चलाया हुआ है। इस अभियान के तहत शिक्षकों ने विवि परिसर में नए पौधे लगाए और परिसर के कूड़े-कचरे व पालिथिन को साफ किया।
विश्व पर्यावरण दिवस पर लिए गए संकल्प को पूरा करने के लिए शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने बड़े उत्साह के साथ पोस्टर मेकिंग कम्पटीशन में भाग लिया तथा पर्यावरण के महत्व को पोस्टर के माध्यम से बताया। शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने परिसर में जगह-जगह उपयोगी पौधों का रोपण किया। इस मौके पर शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने साफ सफाई एवं प्लास्टिक रोक थाम पर जोर दिया। स्कूल ऑफ़ एजुकेशन की डीन डॉ. रेनू गुप्ता ने प्लास्टिक की रोकथाम एवं उसके निस्तारण के तरीकों की विद्यार्थियों को जानकारी देते हुए प्रोत्साहित किया। डॉ. सरस्वती घोष ने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए मौसम के अनुसार पौधारोपण की जानकारी दी। डॉ. निशा चंदेल ने कबाड़ से जुगाड़ कर पर्यावरण को सुरक्षित करने के महत्व और उपयोगिता की जानकारी दी। डॉ. मृत्युंजय मिश्रा ने पर्यावरण को सुरक्षित एवं संरक्षित करने के लिए पौधारोपण एवं कचरा के निस्तारण तथा साफ सफाई के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया। विद्यार्थियों को विभिन्न डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से पर्यावरण सुरक्षा हेतु प्रोत्साहित किया गया। इस अवसर पर डॉ. विक्रांत भास्कर, सुष्मिता मुखर्जी, जयप्रकाश आदि उपस्थित थे।
डा. मृत्युंजय मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 1972 में पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु पर्यावरण दिवस मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने की थी। इसे पांच जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था। यह कई गैर-सरकारी संगठनों, व्यवसायों, सरकारी संस्थाओं द्वारा समर्थित है और पर्यावरण का समर्थन करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्राथमिक आउटरीच दिवस का प्रतिनिधित्व करता है। इसी दिन संस्कृति विवि के शिक्षकों और विद्यार्थियों द्वारा अपने परिसर के पर्यावरण को अनुकूल बनाने का संकल्प लिया गया था। इसी संकल्प को पूरा करने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि पांच जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। तभी से ही यह समुद्री प्रदूषण, अधिक जनसंख्या, ग्लोबल वार्मिंग, टिकाऊ विकास और वन्यजीव अपराध जैसे पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने का एक मंच रहा है। विश्व पर्यावरण दिवस सार्वजनिक आउटरीच के लिए एक वैश्विक मंच है, जिसमें सालाना 143 से अधिक देशों की भागीदारी होती है। प्रत्येक वर्ष, कार्यक्रम ने पर्यावरणीय कारणों की वकालत करने के लिए व्यवसायों, गैर सरकारी संगठनों, समुदायों, सरकारों और मशहूर हस्तियों के लिए एक थीम और मंच प्रदान किया है।

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