मथुरा। हमारे डी.एम. साहब ने प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा को तोड़ मरोड़ कर चकनाचूर कर दिया। उनकी इस कार्य प्रणाली से अधीनस्थ अधिकारी परेशान हैं।
उल्लेखनींय है कि पुराने समय से यह प्रथा चली आ रही थी कि जो फरियादी अपनी फरियाद लेकर आते थे उनके प्रार्थना पत्र पर जिलाधिकारी आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश लिखकर अपनी टेबल पर रखी एक ट्रे में रखते जाते थे। बाद में यह सभी कागज डाक वही में चढ़कर संबंधित विभागों को चले जाते।
अब जब से नये जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह जी पधारे हैं तभी से पुरानी परंपरा को ताक पर रख दिया गया है और नया कानून लागू हो गया है। नया नियम यह कर दिया गया है कि जिलाधिकारी पहले पूरे प्रार्थना पत्र को पढ़ते हैं और फिर उस पर अपना आदेश लिखकर उसी फरियादी को थमा कर कहते हैं कि इसे अमुक अधिकारी के पास लेकर चले जाओ। साथ ही अपनी एक छोटी सी डायरी में इन सभी प्रार्थना पत्रों को अंकित करते जाते हैं।
श्रीमान शैलेंद्र जी यहीं तक सीमित नहीं रहते बल्कि प्रार्थना पत्र को लाने वाले के हाथों में देने से पहले अपने स्टेनो या अन्य किसी अधीनस्थ से कहते हैं कि फलां अधिकारी से मेरी बात कराओ। फोन मिलते ही डी.एम. साहब कहते हैं कि फलां व्यक्ति को आपके पास भेज रहा हूं उनकी समस्या का तत्काल समाधान करके मुझे अवगत करायें।
यही नहीं फरियादी द्वारा शैलेंद्र जी को जब यह बताया जाता है कि उनकी शिकायत पर फलां अधिकारी ने कोई कार्रवाई नहीं की या अनसुना कर दिया तो उनके तेवर कड़े हो जाते हैं और सख्त लहजे में संबंधित अधिकारी से कहते हैं कि अब मेरे पास दोबारा शिकायत नहीं आनी चाहिए। इतना सुनते ही अधिकारी की सिट्टी-पिट्टी और भी गुम हो जाती है।
बात तब और मजेदार हो जाती है जब फरियादी अपने प्रार्थना पत्र पर जिलाधिकारी से आदेश कराने के बाद उक्त अधिकारी के पास पहुंचता है, तो वही अधिकारी जो पहले उसे घास भी नहीं डालता और टरका देता था अब तो वह उसे बाइज्जत अपने सामने कुर्सी पर बैठाकर तहजीब से बात करता है और कहता है कि अरे भाई आप डी.एम. साहब के पास तक क्यों जा पहुंचे। चलो अब बताओ क्या परेशानी है और फिर आनन फानन में समस्या का समाधान होने लगता है।
जिलाधिकारी की इस अनोखी और मजेदार परंपरा से एक ओर जहां जन मानस खुश है वहीं दूसरी ओर अधीनस्थ अधिकारी परेशान हैं। क्योंकि पहले तो वह इन प्रार्थना पत्रों की अपने हिसाब से खाना-पूरी कर लेते थे किंतु अब उन्हीं के ऊपर कार्यवाही की तलवार लटकी रहती है। इस प्रकार के सैकड़ो केस प्रतिदिन देखने को मिल रहे हैं।
इसके अलावा एक और खास बात यह देखने को मिल रही है कि यदि महिला या बुजुर्ग फरियादी होते हैं तो डी.एम. साहब द्वारा उन्हें कुर्सी पर बैठाकर बात की जाती है और कुर्सी खाली न होने पर भी किसी न किसी प्रकार कुर्सी की व्यवस्था हो जाती है।
एक और बात यह है कि कोई फरियादी कुर्सी पर बैठा होता है और अपनी समस्या बताते समय खड़ा हो जाता है तो जिलाधिकारी उसे कहते हैं कि अरे भैया बैठ जाओ। जब वह बैठ जाता है तो फिर बड़े इत्मीनान से कहते हैं कि “हां अब बताओ क्या समस्या है?
भले ही शैलेंद्र जी ने पुरानीं परंपराओं को तोड़कर चकनाचूर कर दिया हो किंतु उन्होंने अपनी एक अजब गजब की नई परंपरा से जनमानस के साथ अपना नाता दिलों की गहराई तक जोड़ लिया है। इसके लिए वे साधुवाद के पात्र हैं। ईश्वर करे रिटायरमेंट से पूर्व उनका शेष 2 वर्ष से अधिक का कार्यकाल भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि में ही पूरा हो।
शैलेंद्र जी ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी से एक दिन पूर्व ही अपना चार्ज ग्रहण किया था और अगली दो जन्माष्टमी भी उनकी छत्रछाया में मनें ऐसी हमारी कामना ही नहीं पूर्ण विश्वास भी है। भगवान श्री कृष्णा, योगी आदित्यनाथ और संत शैलजा कांत की कृपा जिस पर हो उसे फिर कौन डिगा पाएगा? शैलेंद्र जी आप हमेशा सुखी रहें और शतायु हों।
डी.एम. साहब ने पुरानीं परंपरा तोड़कर चकनाचूर की, अधीनस्थ परेशान – विजय कुमार गुप्ता
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