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एक महा तक ब्रह्मचार्य का पालन करंगे मोनू पंडा
कोसीकलां : धधकती होलिका से निकलने के लिए प्रहलाद नगरी फालैन में मोनू पंडा शनिवार को विधिवत पूजा अर्चना के बाद तप पर बैठ गए। कठोर नियमों का पालन करते हुए एक माह तक वह घर नहीं जाएंगे। मंदिर पर रहकर अन्न का त्याग कर तप करेंगे। होलिका वाले दिन लग्न के अनुसार मोनू धधकती होलिका से होकर गुजरेंगे। 24 मार्च से पंडा मेला शुरू हो जाएगा।
भक्त प्रहलाद के होलिका से बच निकलने के चमत्कार को साकार करने के लिए प्रहलाद नगरी फालैन में शनिवार से तैयारियां शुरू हो गई हैं। मोनू पंडा ने ग्रामीणों के साथ परिक्रमा कर प्रहलाद कुंड पर मंदिर के समीप होलिका स्थल और होलिका की पूजा की। ग्रामीणों ने प्रहलाद महाराज के जयघोष के साथ गुलाल उड़ाया। मेला आचार्य पंडित भगवान सहाय ने होलिका स्थल पर होलिका का पूजन कराया और होलिका रखवाई। पंडा को प्रह्लादजी की माला सौंपकर दोबारा तप के नियम समझाए। इसी के साथ मोनू पंडा दूसरी बार धधकते अंगारों से निकलने के लिए तप पर बैठ गए। मेला आचार्य भगवान सहाय पंडित ने बताया कि एक माह तक पंडा ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे और घर नहीं जाएंगे। 24 मार्च को अलसुबह होलिका के धधकते अंगारों से होकर निकलेंगे। इस परंपरागत कारनामे को देखने के लिए दूर- दराज से श्रद्धालु यहां जुटते हैं।
यह होते हैं तप के नियम
मोनू पंडा एक माह तक कठोर तप पर बैठेंगे। तप के नियम का पालन पंडा को करना होगा। पंडा एक माह तक घर नहीं जाएंगे। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अन्न का त्याग कर केवल फलाहार पर ही रहेंगे। सुबह- शाम को तप और साधना करेंगे। एक माह तक धरती पर ही शयन करेंगे।
पंडा को माना जाता है प्रहलादजी महाराज का स्वरूप
धधकते अंगारों से निकलने वाले पंडा को प्रहलादजी का स्वरूप माना जाता है। पूजा से पूर्व वह मंदिर में रखी प्राचीन प्रहलादजी के नाम की माला को ग्रहण करते हैं। उसी से पूजा- अर्चना करते हैं। पंडा को प्रहलादजी महाराज का स्वरूप माना जाता है। वह धधकती होलिका के अंगारों से सकुशल बच निकलने का कारनामा भक्ति के दम पर करते हैं।
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