Saturday, April 27, 2024
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महिलाएं चुनौतियों से निपटते हुए उठाएं अवसरों का लाभ, जीएल बजाज में रेजीलिएन्ट्स वूमेन इन कैरियर्स पर हुई परिचर्चा

मथुरा। सशक्त समाज के निर्माण में महिलाओं की भूमिका किसी से कम नहीं है। आज देश की आर्थिन उन्नति में आधे भारत की पूरी भागीदारी है, महिलाओं के लिए अपने कार्यस्थल को चुनना और परिवार तथा कार्यक्षेत्र में सामंजस्य बिठाकर रखना कभी भी सुलभ नहीं रहा बावजूद तमाम बाधाओं को दरकिनार कर महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपना परचम फहराया है। जीएल बजाज ग्रुप आफ इन्स्टीट्यूशन्स, मथुरा के वूमेन सेल तथा आईईईई महिला इंजीनियरिंग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित रेजीलिएन्ट्स वूमेन इन कैरियर्स परिचर्चा में अतिथि वक्ताओं ने यह विचार व्यक्त किए। परिचर्चा का शुभारम्भ माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया गया।
परिचर्चा शुरू होने से पहले जीएल बजाज की वूमेन सेल की गतिविधियों का परिचय रिचा मिश्रा ने दिया। इस अवसर पर संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने कहा कि इस परिचर्चा का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त और उन्हें उच्चता प्रदान करना है। साथ ही आगे बढ़ने और सफलता के लिए समर्थनशील तथा समावेशी वातावरण को बढ़ावा देना है। इस अवसर पर उन्होंने छात्राओं से उच्च शिक्षा प्राप्त कर स्वावलम्बी बनने का आह्वान किया।
परिचर्चा में शामिल एडिशनल एसपी वंदना मिश्रा ने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर महिलाओं के कर्तव्य और अधिकारों की विवेचना की। उन्होंने कहा कि आज के परिष्कृत दौर में पुरुष और महिलाएं दोनों लचीले शेड्यूल की इच्छा रखते हैं। जब पुरुष और महिला दोनों काम में लचीलेपन की तलाश करते हैं, तो यह मिथक दूर हो जाता है कि केवल महिलाओं को ही इसकी आवश्यकता होती है क्योंकि वे काम और पारिवारिक जीवन की मांगों को संतुलित करने के लिए बेचैन रहती हैं।
अंतरराष्ट्रीय शेफ और फैशन आइकॉन कोमिला सुनेजा धर ने बताया किस तरह महिलाओं को अपना सर्वश्रेष्ठ तलाश करके उसे तराशना चाहिए। उन्होंने कहा कि 65 फीसदी से अधिक कामकाजी महिलाएं अपने पेशेवर जीवन में लचीलापन महसूस करती हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि पिछले कुछ साल कामकाजी महिलाओं के लिए काफी कठिन रहे हैं। कार्यस्थल की संस्कृति या लचीलेपन की कमी भारतीय कामकाजी महिलाओं को दुखी बना रही है। लचीलेपन की कमी के कारण न केवल कामकाजी महिलाओं का पलायन हो रहा है बल्कि काम करने वाली महिलाओं को बहिष्कार का डर भी सता रहा है।
आराधना त्रिपाठी शाखा प्रबंधक एसबीआई मथुरा ने महिलाओं से अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में सामंजस्य बिठाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। हमें कार्यक्षेत्र में सशक्तीकरण और सहनशीलता की सार्थकता को संग्रहीत करते हुए न केवल आगे बढ़ना है बल्कि सशक्त महिलाओं का समर्थन भी करना है। परिचर्चा में अतिथि वक्ताओं ने अपने कैरियर की प्रेरणादायक कहानियां और मूल्यवान दृष्टिकोण साझा करते हुए छात्राओं से चुनौतियों से निपटने तथा अवसरों का लाभ उठाने का आह्वान किया। इनका मानना है कि एकजुटता, मेंटरशिप तथा समुदाय समर्थन से सहजता से सफलता की सीढ़ियां चढ़ी जा सकती हैं। परिचर्चा में डॉ. तनुश्री गुप्ता, डॉ. शताक्षी मिश्रा, डॉ. शम्भवी कात्यायन, स्तुति गौतम, नंदनी शर्मा, सोनिका, डॉ. मंधीर वर्मा, डॉ. भोले सिंह, डॉ. शशी शेखर आदि उपस्थित रहे। अंत में वूमेन सेल की चेयरपर्सन डॉ. शिखा गोविल ने सभी का आभार माना।

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