
जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित “दवा एवं वैक्सीन विकास हेतु नवीनतम तकनीकें और आविष्कार“ विषय पर ऑनलाइन दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई। इस सम्मेलन का उद्देश्य दवा और वैक्सीन अनुसंधान में उभरती प्रवृत्तियों और नवाचारों की खोज के लिए वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और उद्योग विशेषज्ञों को एक साझा मंच प्रदान करना है।
सम्मेलन में प्रमुख विषयों में नवोन्मेषी ड्रग डिलीवरी सिस्टम, जैव-प्रौद्योगिकी में प्रगति, नैनोटेक्नोलॉजी और कंप्यूटेशनल टूल्स के माध्यम से दवा व वैक्सीन विकास को गति देने पर चर्चा की गई। कार्यक्रम ने अनुसंधान और उद्योग के बीच की दूरी को पाटने के लिए अंतरविषयक संवाद को प्रोत्साहित किया।
सम्मेलन में अमेरिका, जर्मनी और भारत से 6 ख्यातिप्राप्त कीनोट वक्ताओं ने विचार प्रस्तुत किए, जिनमें डा. भंवर पुनिया (नेब्रास्का विश्वविद्यालय, अमेरिका), डा. राजेंद्र गुप्ता (ड्रेसडेन तकनीकी विश्वविद्यालय, जर्मनी), डा. समीर तिवारी (जॉर्ज मेसन विश्वविद्यालय, अमेरिका), डा. श्वेता मिश्रा (इलिनॉय विश्वविद्यालय, शिकागो, अमेरिका), प्रो. वसीम ए. सिद्दीकी (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, भारत) और डा. सौरिष राजिंदर कर्माकर (रिलायंस लाइफ साइंसेज़, नवी मुंबई) शामिल रहे।
सम्मेलन में कुल 58 वैज्ञानिक सारांश और 26 ई-पोस्टर प्रस्तुतियां की गईं। आयोजन समिति के डा. स्वरूप के. पांडेय, डा. अनुजा मिश्रा, डा. ज्योति गुप्ता, डा. सुखेन्द्र सिंह, डा. सौरभ गुप्ता एवं पीएचडी शोधार्थी समिक्षा अग्रवाल को आयोजन की सफलतापूर्वक सम्पन्नता हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि दवा और वैक्सीन विकास में नवीनतम तकनीकें और आविष्कार चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं। इन प्रगतियों ने बीमारियों के इलाज और रोकथाम के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। नई दवाओं के विकास में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सहयोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उदाहरण के लिए भारत में विकसित की गई नई एंटीबायोटिक “नैफिथ्रोमाइसिन“ दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के इलाज में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। यह दवा वोकहार्ट कंपनी ने स्वदेश में विकसित की है, जिसमें बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बीआइआरएटी) का महत्वपूर्ण सहयोग रहा है।
बायोटेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने कहा कि वर्तमान में वैक्सीन विकास में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। वैक्सीनें देश की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं। उन्होंने बताया कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सहयोग दवा और वैक्सीन विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सहयोग नई दवाओं और वैक्सीनों के विकास को बढ़ावा देता है और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद करता है।
कुलसचिव अशोक कुमार सिंह तथा आयोजन समिति के डा. स्वरूप के. पांडेय ने कहा कि आधुनिक तकनीकों जैसे कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग दवा और वैक्सीन विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ये तकनीकें नई दवाओं और वैक्सीनों के विकास को तेज और अधिक प्रभावी बना रही हैं। निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सहयोग और आधुनिक तकनीकों का उपयोग नई दवाओं और वैक्सीनों के विकास को बढ़ावा दे रहा है और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है।
सम्मेलन को सफल बनाने में डीन आरएंडडी प्रो. कमल शर्मा का विशेष योगदान रहा। उन्होंने कहा कि यह आयोजन भविष्य के दवा और वैक्सीन अनुसंधान में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।