Wednesday, May 1, 2024
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देश को बचाने में खुद जिंदगी की जंग हारे 126 डॉक्टर, जारी हुआ रिकॉर्ड

भगवान का दूसरा रुप होते हैं डॉक्टर। इस महामारी से संक्रमित हुए मरीजों (Infected patients)को बचाने के लिए डॉक्टर दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं। अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों को बचाने में लगे हैं। लेकिन इस महामारी से कुछ डॉक्टर भी अपनी जान गवा चुके हैं। हाल ही में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से एक आंकड़ा जारी किया गया है। जिसमें यह बताया गया है कि अब तक कोरोनावायरस की वजह से 126 डॉक्टर की मौत हो चुकी है। हालांकि पिछले साल कोरोनावायरस के चलते 736 डॉक्टरों ने जान गवाई थी इस मामले में बिहार राज्य में सबसे अधिक मौतें हुई थी।

संस्था ने सरकार पर सवाल उठाते हुए डॉक्टरों के डेटा रखने की मांग की है। आई एम ए कोविड के कारण इस साल जान दबाने वाले डॉक्टरों के टीकाकरण की स्थिति का पता लगाया जा रहा है। डॉ रवि वानखेडकर बढ़ाते हैं,की भारत सरकार के हेल्थ विभाग को अलग-अलग राज्यों के प्रभावित और जान गवाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों का डाटा उनके टीकाकरण की जानकारी के साथ तैयार रखना चाहिए। लेकिन सरकार या काम नहीं कर पा रही है। ऐसे में आई एम ए डाटा जुटाने का प्रयास कर रहा है। खास बात या है कि पिछले जनवरी से शुरू हुए वैक्सीन प्रोग्राम मैं सरकार ने सबसे पहले हेल्थ वर्कर को ही टीका लगाने का फैसला किया था।

टीकाकरण के आंकड़ों के अनुसार देश में अब तक 16 करो टीकाकरण हो चुके हैं। इनमें से 94. 7 लाख हेल्थ वर्कर को पहला और 63. 5 लाख को दूसरा दोस्त मिल चुका है। साथ ही आईएमए ने कोविड पार्टी फंड यानी शहीद फंड बनाया है। इसके अंतर्गत जान देने वाले परिवारों को 1. 6 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। पिछले साल आई एम ए ने सरकार के डाटा का नहीं माना था। जिसमें कहा गया है कि देश में को फिर से 167 हो चुकी है। इस पर आईएमए ने हैरानी जाहिर की थी और आंकड़ा 734 बताया था।

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