
चौथे अंतरराष्ट्रीय मनोचिकित्सा और आध्यात्मिक सम्मेलन में दिया योग पर जोर
मथुरा। मनोचिकित्सा और आध्यात्मिकता दोनों ही मानव कल्याण के लिए महत्वपूर्ण पहलू हैं। दोनों के बीच गहरा सम्बन्ध है। मनोचिकित्सा मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में मदद करती है जबकि आध्यात्मिकता जीवन के अर्थ और उद्देश्यों की खोज में मदद करती है। योग की जहां तक बात है, यौगिक क्रियाएं मानव जीवन का आधार हैं। यह सारगर्भित उद्गार इंडोनेशिया के बाली सनसेट रोड कन्वेंशन सेण्टर में आयोजित चौथे अंतरराष्ट्रीय मनोचिकित्सा और आध्यात्मिक सम्मेलन में के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के उप चिकित्सा अधीक्षक और विभागाध्यक्ष मनो चिकित्सा डॉ. गौरव सिंह ने व्यक्त किए।
डॉ. गौरव सिंह ने डिजिटल कनेक्टिविटी के युग में मानसिक स्वास्थ्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक आध्यात्मिक व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से बेहतर ढंग से निपट सकता है, जबकि मनोचिकित्सा व्यक्ति को अपनी आध्यात्मिक मान्यताओं को स्पष्ट करने तथा उन्हें अपने जीवन में एकीकृत करने में मदद कर सकती है। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ. सिंह ने कहा कि मनोचिकित्सा एक प्रकार की टॉक थेरेपी है जो मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर के साथ बातचीत के माध्यम से अस्वस्थ भावनाओं, विचारों और व्यवहारों को पहचानने और बदलने में मदद करती है। इतना ही नहीं तनाव, रिश्ते सम्बन्धी मुद्दों और मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों सहित विभिन्न प्रकार की समस्याओं में मदद कर सकती है।
डॉ. सिंह ने कहा कि स्वयं का अध्ययन ही आध्यात्मिकता है। उन्होंने मनोचिकित्सा और आध्यात्मिकता को एक साथ एकीकृत करने के कई तरीके भी बताए। उन्होंने कहा कि मनोचिकित्सकों को अपने रोगियों की आध्यात्मिक मान्यताओं तथा स्वयं के विश्वासों के बारे में भी पता होना चाहिए ताकि निष्पक्ष दृष्टिकोण सुनिश्चित हो सके। उन्होंने इसके लिए माइंडफुलनेस, ध्यान और योग के उपयोग पर जोर दिया। डॉ. सिंह ने बताया कि योग एक समग्र दृष्टिकोण है जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को संतुलित करने में मदद करता है। यह विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के लिए एक सुरक्षित तथा प्रभावी पूरक उपचार हो सकता है।
डॉ. सिंह ने बताया कि योग चिकित्सा एक मन-शरीर अभ्यास है जो आपके शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करता है। यह अभ्यास आपको आराम करने, तनाव दूर करने तथा स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा उपचार के अलावा अंतर्निहित स्थितियों या लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद करने के लिए आंदोलन, माइंडफुलनेस, ध्यान, विश्राम और श्वास अभ्यास का उपयोग करता है। योग चिकित्सा एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपको योगाभ्यास के माध्यम से सशक्त बनाती है।
उन्होंने कहा कि योग आपके विशिष्ट शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक जरूरतों और लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करने के साथ बेहतर स्वास्थ्य के लिए एक सम्पूर्ण शारीरिक दृष्टिकोण है। उन्होंने कहा कि योग से हम अपनी शारीरिक परेशानी को कम करने के साथ ही दर्द प्रबंधन में भी सुधार कर सकते हैं। इतना ही नहीं मल्टीपल स्क्लेरोसिस, फाइब्रोमायल्जिया, मिर्गी और स्ट्रोक जैसी न्यूरोलॉजिकल स्थितियों में भी योग काफी मददगार है। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड सहित विभिन्न देशों के 150 से अधिक वक्ताओं ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। सम्मेलन में भारत से डॉ. गौरव सिंह सहित दो विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए।
डॉ. आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन श्री मनोज अग्रवाल ने डॉ. गौरव सिंह के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में व्यक्त विचारों की प्रशंसा की। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि आध्यात्मिकता और योग स्वस्थ जीवन का आधार है। इंसान को यदि शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना है तो उसे प्रतिदिन कुछ समय योग और आध्यात्म को देना चाहिए।
चित्र कैप्शनः चौथे अंतरराष्ट्रीय मनोचिकित्सा और आध्यात्मिक सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए उप चिकित्सा अधीक्षक और विभागाध्यक्ष मनो चिकित्सा डॉ. गौरव सिंह।