आर्थोपेडिक सर्जन के अपहरण के बाद फिरौती तक हो जाने के बावजूद पुलिस द्वारा की गई लीपापोती अब उसके गले की हड्डी बन गई है। इस मामले में आईजी रेंज ए सतीश गणेश जांच कर रहे है, एसएसपी शलभ माथुर, एसपी सिटी सहित दस को नोटिस भेजकर बयान देने के लिए बुलाया गया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि अपहरण 10 दिसंबर को हुआ था। बदमाशों ने डॉक्टर को ढाई घंटे बाद छोड़ दिया था। हाईवे थाना क्षेत्र में 55 लाख की फिरौती वसूली गई थी। पत्नी फिरौती लाई थी। बदमाश क्रेटा गाड़ी से आए थे। गिरोह में एक युवक मेरठ का था। डाक्टर सकुशल घर आ गए।
इसके कुछ दिनों बाद मामला पुलिस की जानकारी में आया, पुलिस ने मोबाइल सर्विलांस पर लगाया।
पता चला कि बदमाशों ने ग्रेटर नोएडा के छात्र से मोबाइल मांगकर कॉल की थी। छात्र ने बदमाशों की कार का नंबर नोट किया। इसकी जानकारी मथुरा पुलिस को दी। कार मेरठ के एक सैन्य अधिकारी के बेटे की निकली। पुलिस ने उसे मेरठ में दबिश देकर हिरासत में ले लिया। इसके बाद पुलिसिया खेल शुरू हुआ।
पकड़े युवक से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने दबिश दी और अन्य बदमाशों को पकड़कर फिरौती की रकम वसूल ली। इसमें से बहुत थोड़ा हिस्सा डॉक्टर को दे दिया। चूंकि डाक्टर मामला दर्ज नहीं कराना चाह रहे थे, तो इस बात का भी पुलिस ने पूरा लाभ उठाते हुए बदमाशों से मोटी रकम लेकर पूरा मामला रफा-दफा कर दिया।
पुलिस ने किया अपराधियों को छोड़ने का गुनाह
इस पूरे मामले में पुलिस ने बदमाशों को आॅफ रिकाॅर्ड तलाशा, सीडीआर निकलवाई और पूछताछ की। इस पूरे खेल से अपने आलाधिकारियों को अनजान रखा। आईजी की जांच में कई बातें साफ हो गई है, सोमवार को भी बयान दर्ज किए जाने है। सूत्र बताते है पूरे मामले में पुलिस के अधिकारियों पर गाज गिरना तय है। एडीजी जल्द से जल्द इस जांच के नतीजों पर पहुंचना चाहते है, ताकि मुख्यालय को रिपोर्ट दी जा सके।