Saturday, May 18, 2024
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विश्व के सबसे ऊंचे वृन्दावन चन्द्रोदय मंदिर के पास घर देने के नाम पर धोखा

  • 6 साल बाद भी न मंदिर बना न ही बने लोगों के घर
  • 16 मार्च 2014 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणवमुखर्जी ने किया था भूमि पूजन

अरुण यादव की रिपोर्ट
वृंदावन। वृन्दावनवास करने की चाहत रखने वाले देशी-विदेशी भक्तों के साथ एक बार फिर धोखा हो रहा है। इनफिनिटी ग्रुप द्वारा लोगों को विश्व के सबसे ऊंचे मंदिर के पास घर देने का दिखाया गया सपना 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी अधूरा रह गया। फ्लैट और विला खरीदने वाले लेागों के हितों का ध्यान रखने वाला रेरा यानि भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण के निययों का भी यहां मखौल उड़ाया जा रहा है।

ज्ञात हो कि अक्षयपात्र परिसर में 16 मार्च 2014 में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणवमुखर्जी ने विश्व के सबसे ऊंचे और आधुनिक वृन्दावन चन्द्रोदय मंदिर की नींव रखी थी। 26 एकड़ जमीन में 700 फुट ऊंचे मंदिर का निर्माण 2022 तक करने का दावा किया गया था। मंदिर की नींव रखने के साथ ही देशी-विदेशी भक्तों को विश्व के सबसे ऊंचे मंदिरों के आसपास 12 वनों के समीप फ्लैट और विला बनाकर देने के दावे किए गए। कृष्ण भक्तों ने वृन्दावनवास और विश्व के सबसे ऊंचे मंदिर के पास एक घर की लालसा में करोड़ों रुपए देकर अपने फ्लैट और विल बुक भी कराए। लेकिन रेरा के नियमों का ताक पर रखकर छह वर्ष बीत जाने के बाद भी न मंदिर बना, न ही फ्लैट और विला बनकर तैयार हुए। काबिलेगौर बात यह है कि मंदिर और फ्लैट और विला बनाने वाला ग्रुप आज भी मंदिर और लेागों को घर देने का दावा कर रहा है।
जमीनी हकीकत यह है कि पिछले 6 वर्षों में वृन्दावन चन्द्रोदय मंदिर की नींव भी पूरी तरह तैयार नहीं हो सकी। न ही एक भी फ्लैट और विला लोगों के लिए बनकर तैयार हुए हैं। वृन्दावनवास की चाहत रखने वाले भक्तजन अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

रेरा कानून के नियम-

फ़्लैट या संपति के बुकिंग की राशि
सामान्यतः जब हम बुकिंग करते है तब डेवलेपर्स, जो भी हमारी फ़्लैट को खरीदने की पूरी राशि होती है, हमें उसका 10% तक की राशी को भुगतान करने को कहते है। साथ ही वो अग्रिम राशि की भी मांग करते है, लेकिन रेरा अधिनियम आने से 10% से अधिक भुगतान के लिए डेवलेपर्स को अब समझौता करना पड़ेगा।

प्रोजेक्ट के वितरण में देरी पर मुआवजा
जो भी खरीदार घर को खरीद रहे है अगर उन्हें आवंटित फ़्लैट या घर में किसी भी तरह के निर्माण कार्य में दोष दिखता है, या फ़्लैट का आवंटन समय के अनुसार नहीं होता है, तो डेवलेपर्स या बिल्डर रेरा अधिनियम के तहत दोषी पाए जायेंगे और उन्हें इसके लिए कुल राशि के ब्याज के साथ जुर्माना भी देना पड़ेगा।

परियोजना की गुणवता
रेरा अधिनियम के तहत बिल्डिंग में किसी भी तरह की खराबी के लिए 5 साल की वारंटी के तहत उसमे सुधार कराने की जिम्मेदारी बिल्डर की होगी।

परियोजना की अवधि
कोई भी परियोजनाएं जो पूरी नहीं हुई है या अभी चल रही है, इन सब की जानकारी बिल्डर को प्राधिकरण को देनी होगी। साथ ही जो मूल योजना है, अगर उसमे किसी भी तरह का परिवर्तन बाद में होता है तो उन सब की जानकारी देनी होगी। बिल्डर को परियोजनाओं की समाप्ति की समय सीमा की जानकारी भी प्राधिकरण को प्रदान करनी होगी। साथ ही बिल्डरों को ग्राहकों से प्राप्त एस्क्रो अकाउंट में 70% तक का पैसा ट्रांस्फर करना होगा, इससे इस बात का पता चल जायेगा की बिल्डर जिस परियोजना के लिए पैसा ले रहा है, वो उसी परियोजना पर ही खर्च कर रहा है या नहीं।

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