Friday, May 10, 2024
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देश के 1.48 करोड़ बच्चों को लगी नशे की लत

  •  ड्रग्स पर भारत सरकार के राष्ट्रीय सर्वे में हुआ खुलासा
  • वर्ष 2018 के दौरान देश में राज्यवार व्योरा एकत्र करने को हुआ था सर्वे

नई दिल्ली। देश में बच्चों में बढ़ती नशे की लत एक गंभीर समस्या बन चुकी है। भारत सरकार के एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि, 10 से 17 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 1.48 करोड़ बच्चे और किशोर अल्कोहल, अफीम, कोकीन, भांग सहित कई तरह के नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने वर्ष 2018 के दौरान देश में नशीले पदार्थों के प्रयोग की सीमा और स्वरूप के संबंध में राज्यवार ब्योरा एकत्र करने के लिए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया था।

लोकसभा में 20 सितंबर को मिला यह व्योरा

इस रिपोर्ट में विभिन्न नशीले पदार्थों का प्रयोग करने वाले 10 से 75 वर्ष आयु वर्ग में भारत के जनसंख्या अनुपात और नशीले पदार्थों के प्रयोग से उत्पन्न विकृतियों के संदर्भ में निष्कर्ष दिए गए हैं। लोकसभा में 20 सितंबर को राजीव प्रताप रूडी के प्रश्न के लिखित उत्तर में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रतन लाल कटारिया ने यह ब्योरा दिया।

10 से 17 आयु वर्ग के 30 लाख बच्चे व किशोर पी रहे शराब

सर्वेक्षण के अनुसार सभी आयु वर्गों में सबसे अधिक संख्या शराब का सेवन करने वालों की है। 10 से 17 वर्ष आयु वर्ग में अनुमानित 30 लाख बच्चे और किशोर शराब का सेवन कर रहे हैं, जबकि 18 से 75 वर्ष आयु वर्ग में शराब का सेवन करने वालों की संख्या 15.10 करोड़ पाई गई है। वहीं, 10 से 17 वर्ष आयु वर्ग में अनुमानित 40 लाख बच्चे और किशोर अफीम का सेवन कर रहे हैं। इस आयु वर्ग में भाँग के सेवनकर्ताओं की संख्या 20 लाख पाई गई है।
सर्वे के अनुसार, अनुमानित 50 लाख बच्चे और किशोर शामक पदार्थों तथा सूंघकर या कश के जरिए लिए जाने वाले मादक पदार्थों का सेवन करते हैं। जबकि दो लाख बच्चे कोकीन और चार लाख बच्चे उत्तेजना पैदा करने वाले पदार्थों का सेवन करते हैं।

बच्चों में नशीले पदार्थों के सेवन का बढ़ रहा चलन

फोर्टिस अस्पताल के मानसिक स्वास्थ्य व व्यवहार विज्ञान के निदेशक डॉ. समीर पारिख ने बताया कि बच्चों में नशीले पदार्थों के सेवन की प्रवृत्ति और चलन लगातार बढ़ रहा है। यह किशोरों के शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। नशे की लत के चलते किशोर आक्रामक हो रहे हैं। डॉक्टर ने कहा कि अकसर ऐसा देखा गया है कि घर-परिवार में कोई न कोई व्यक्ति किसी तरह का नशा करता है। तो ऐसी परिस्थितियां भी किशोरों को नशे के लिए प्रेरित करती हैं।

बच्चों और उनकी जरुरतों का हमेशा ध्यान रखना जरुरी

डा.पारिख ने कहा कि इसके अलावा यह देखा गया है कि, कई ऐसी दर्दनाक घटनाएं हो जाती हैं, जिससे मानसिक तनाव होता है। ऐसी परिस्थिति में भी लोग नशे का सहारा लेने लगते हैं। उन्होंने कहा कि भाग-दौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने कार्यों में काफी व्यस्त हैं। इसके चलते वे बच्चों को ज्यादा समय नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में बच्चे कई बार खुद को उपेक्षित महसूस करने लगते हैं। इस वजह से भी वे बुरी संगत में पड़कर नशे की गिरफ्त में आ सकते हैं। इसलिए बच्चों और उनकी जरूरतों का हमेशा ध्यान रखा जाना चाहिए।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रतन लाल कटारिया ने लोकसभा को बताया कि मंत्रालय ने वर्ष 2018-25 के लिए नशीले पदार्थों की मांग में कमी लाने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की है और उसका कार्यान्वयन किया जा रहा है।

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