शारदीय नवरात्रि आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 17 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। इस साल नवरात्रि पर राजयोग, द्विपुष्कर योग, सिद्धियोग, सर्वार्थसिद्धि योग, सिद्धियोग और अमृत योग जैसे संयोगों का निर्माण हो रहा है। इस बार नवरात्रि में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। नवरात्रि में सबसे पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। इस दिन कुछ लोग अखंड ज्योत भी जलाते हैं और कुछ जौ भी बोते हैं। कलश स्थापना के लिए सुबह 6 बजे से 10 बजे का समय बहुत श्रेष्ठ है। अगर इस समय कलश स्थापना न कर पाएं तो 11 बजे से 12 बजे के पहले भी कलश स्थापना कर सकते हैं।
मां के नौ रूपों की पूजा
नवरात्रि में मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
किस जगह करें कलश स्थापना
कलश स्थापना मंदिर के पास उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए। जहां माता की चौकी लगानी और कलश स्थापित करना है उस स्थान को अच्छे से गंगाजल से धो लें। इसके बाद वहां आटे से चौक बनाकर लकड़ी की चौकी रखें और इस पर लाल रंग से स्वास्तिक बना लें। इस पर आप कलश स्थापित कर सकते हैं।
इन बीज मंत्रों के साथ करें घट स्थापना
-ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
-ऊं दुं दुर्गायै नम:
-ऊं ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
-ऊं श्रीं ऊं