Sunday, May 12, 2024
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टैक्स कलेक्शन में व्यापक सुधार की आवश्यकता: जस्टिस आरके अग्रवाल

  •  जीएलए विधि संस्थान में ‘‘टैक्स कल्चर एंड टैक्स रिफॉर्म इन इंडिया‘‘ पर हुई राष्ट्रीय वेबिनार
  •  सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एवं सीबीडीटी के पूर्व चेयरमैन ने रखे विचार

मथुरा। सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं वर्तमान में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष जस्टिस आर के अग्रवाल ने कहा कि टैक्स कलेक्शन में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। टैक्स एक तरह का कल्चर है, जिसमें अनुशासन एवं मूल्य दोनों का समावेश होता है।
जस्टिस आर के अग्रवाल ने बतौर मुख्य अतिथि जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज एवं रिसर्च और लीगल रिलीफ सोसायटी कोलकाता के तत्वावधान में ‘‘टैक्स कल्चर एंड टैक्स रिफाॅर्म इन इंडिया‘‘ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि प्राचीन भारत में टैक्स का जिक्र करते हुए कहा कि टैक्स प्रशाषन का एक भाग प्रारम्भ से ही रहा है। वर्तमान में टैक्स कलेक्शन में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। टैक्स एक तरह का कल्चर है, जिसमें अनुशाषन एवं मूल्य दोनों का समावेश होता है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में टैक्स ही सरकार की सामाजिक व आर्थिक गतिविधियों को स्वरूप प्रदान करता है। टैक्स करदाता द्वारा किया जाने वाला ऐसा अनिवार्य अंशदान है जो कि सामाजिक उद्देश्य जैसे आय व संपत्ति की असमानता को कम करके उच्च रोजगार स्तर प्राप्त करने तथा आर्थिक स्थिरता व वृद्धि प्राप्त करने में सहायक होता है। टैक्स एक ऐसा भुगतान है जो आवश्यक रुप से सरकार को उसके बनाए गए कानूनों के अनुसार दिया जाता है। इसके बदले में किसी सेवा प्राप्ति की आशा नहीं की जा सकती है।
पूर्व भारतीय राजस्व अधिकारी एवं सीबीडीटी के चेयरमैन रत्नेष्वर प्रसाद ने कहा कि सरकार राॅबिन हुड की तरह कार्य करती है, जिसमें अमीरों का पैसा टैक्स के रूप में गरीबों पर खर्च होता है। श्री प्रसाद ने कहा कि टैक्स कल्चर में एक निरंतरता, समानता, सहजता जैसे गुण विद्यमान होने चाहिए। उच्च न्यायालय कोलकाता के अधिवक्ता नारायण जैन एवं अधिवक्ता केडी काकरा ने टैक्स सुधारों पर गहन चर्चा करते हुए कहा कि लाॅकडाउन के कारण टैक्स स्लैब एवं दर में गिरावट आनी चाहिए। साथ ही टैक्स के लंबित मामलों का निपटारा जल्द होना चाहिए।
राश्ट्रीय वेबिनार के समापन के दौरान इंस्टीट्यूट ऑफ़ लीगल स्टडीज एवं रिसर्च (विधि संस्थान) के डीन प्रो. डाॅ. अविनाष दाधीच ने कहा कि करदाता एवं टैक्स ऑथरिटी के बीच में एक भावनात्मक जुड़ाव होना चाहिए। प्रो. दाधीच ने बताया कि इस राष्ट्रीय वेबिनार में देश के प्रख्यात न्यायविदों एवं शिक्षकों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत विधि संस्थान की छात्रा वैष्णवी सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए की एवं कार्यक्रम के अंत में छात्र नीरज सोनी ने सभी वक्ताओं को धन्यवाद दिया।

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