Thursday, May 9, 2024
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मथुरा, काशी पर दावों के बीच सुन्नी वक्फ बोर्ड ने की पूजास्थल अधिनियम लागू करने की मांग

नई दिल्ली। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और काशी विश्वनाथ से संबंधित मामलों को कानूनी लड़ाई में लाए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के क्रियान्वयन की मांग की है। पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 में उपासना स्थलों की स्थिति को वैसा ही बनाए रखने की बात कही गई है जैसी यह 15 अगस्त 1947 के समय थी।

जून में एक हिन्दू संगठन ने कानून की धारा 4 को चुनौती दी थी, ताकि अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि के अलावा अन्य विवादित धार्मिक स्थलों पर पुन: दावे का मार्ग प्रशस्त करने के लिए कानूनी राह खोली जा सके। विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ की याचिका काशी और मथुरा के मामले में काफी मायने रखती है जहां दो विवादित मस्जिदें खड़ी हैं। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि पूजास्थल अधिनियम किसी भी उपासना स्थल को दूसरे स्वरूप में बदले जाने को स्पष्ट तौर पर निषिद्ध करता है और इसके धार्मिक चरित्र को वैसा ही बनाए रखने की बात कहता है जैसा यह 15 अगस्त 1947 के समय था।

अदालती मामलों से निपटेगा बोर्ड
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष फारूकी ने कहा कि बोर्ड अदालती मामलों से निपटेगा लेकिन क्योंकि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम अस्तित्व में है, इसे क्रियान्वित किया जाना चाहिए जिससे कि भारत में मस्जिदों पर इस तरह के हमलों को रोका जा सके।
उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या मामले में वर्षों से चले आ रहे विवाद को समाप्त करते हुए पिछले साल नौ नवंबर को अपने ऐतिहासिक निर्णय में अयोध्या में संबंधित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था और केंद्र को पवित्र नगरी में प्रमुख जगह पर सुन्नी वक्फ बोर्ड को नई मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।

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