Sunday, May 5, 2024
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चिकित्सकीय विशिष्टता को बरकरार रखना चिकित्सकों का दायित्व


के.डी. मेडिकल कालेज में हुई मेडिकल एथिक्स पर संगोष्ठी


मथुरा। चिकित्सकीय पेशा विशिष्ट है, ऐसे में इसकी विशिष्टता को बरकरार रखा जाना प्रत्येक चिकित्सक का दायित्व है। हमारे समाज में चिकित्सक को भगवान का दर्जा दिया जाता है लिहाजा हमारा दायित्व है कि हम न केवल रोग की सही तरह पहचान कर प्रभावी उपचार करें बल्कि रोगी को जल्द ठीक होने का भरोसा भी दिलाएं क्योंकि चिकित्सक से मिला भरोसा, उपचार में रामबाण की तरह काम करता है। उक्त उद्गार शनिवार को के.डी. मेडिकल कालेज-हास्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर मं उत्तर प्रदेश शासनादेश के परिपालन में मेडिकल एथिक्स पर आयोजित संगोष्ठी में चिकित्सा अधीक्षक डा. राजेन्द्र कुमार ने व्यक्त किए।

संगोष्ठी का शुभारम्भ डा. पी.के. पाढ़ी, डा. एस.के. बंसल, डा. गगनदीप कौर, डा. दिव्यज्योति साकिया, डा. हसन द्वारा मां सरस्वती के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। डा. पी.के. पाढ़ी ने चिकित्सकीय नैतिकता को आचरण का विषय बताते हुए कहा कि हमारी शिक्षा केवल बौद्धिक विकास पर ध्यान देती है जबकि शिक्षार्थी में बोध जागृत करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। डा. पाढ़ी ने कहा कि सही शिक्षा वही हो सकती है जो शिक्षार्थी में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को विकसित कर सके।

एमबीबीएस छात्रों को इस तरह से प्रशिक्षित किया जाए कि वे अपने अंदर मरीजों के साथ मानवीय व्यवहार करने की पात्रता विकसित कर सकें। डा. पाढ़ी ने कहा कि राष्ट्रीय जीवन की कुछ सम्पदाएं ऐसी हैं जिन्हें यदि प्रतिदिन नहीं सम्हाला जाए या रोज नया नहीं किया जाए तो वे खो जाती हैं। उन्होंने कहा कि आज के संकटकालीन दौर में चिकित्सकों एवं चिकित्सालयों को नैतिक मूल्यों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है तभी हम चिकित्सकीय पेशे की साख बचा पाएंगे।

कम्युनिटी मेडिसिन की असिस्टेंट प्रो. (डा.) गगनदीप कौर ने अपने उद्बोधन में कहा कि बदलते परिवेश में एमबीबीएस छात्रों को उपचार के दौरान रोगियों से प्रभावी संवाद के तौर-तरीकों से परिचित कराने के साथ ही उन्हें नैतिक शिक्षा का प्रभावी प्रशिक्षण दिया जाना जरूरी है। डा. कौर ने कहा कि आज के समय में नैतिक शिक्षा का शैक्षणिक स्तर के पाठ्यक्रम का हिस्सा होना बहुत जरूरी है क्योंकि आज की युवा पीढ़ी शिक्षित तो हो रही है लेकिन अपेक्षित संस्कारों, नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों का उनमें नितांत अभाव होता है।

समाज और राष्ट्रहित के लिए अनिवार्य है कि स्कूली शिक्षा से लेकर पेशेवर शिक्षा तक, सब जगह नैतिक शिक्षा को विशेष महत्व दिया जाए। शिक्षित होना तभी सार्थक है जब हमारे छात्र बेहतर नागरिक भी बनें, अन्यथा सारी व्यवस्थाएं, जिम्मेदारियां एवं राष्ट्रीय चरित्र धुंधला होता जाएगा। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में चिकित्सक, नर्सेज तथा पैरा मेडिकल कर्मचारी उपस्थित रहे। आभार डा. प्रदीप कुमार पाढ़ी ने माना।

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