नरेन्द्र सिंघल की रिपोर्ट
छाता। केन्द्र एवं प्रदेश सरकार ग्राम पंचायतों के विकास के लिए हर दिन योजनाएं ला रही हैं। वहीं छाता नगर पंचायत क्षेत्र में पिछले तीन वर्ष से अधिक समय विकास के नाम कुछ नहीं हुआ। इतना ही नहीं देश के पीएम नरेन्द मोदी जहां देशभर में स्वच्छता अभियान चलाने पर जोर दे रहे हैं वहीं छाता में लोग गंदगी के ढेर और दलदल में जीने को मजबूर हैं। छातावासियों का कहना है कि विकास और स्वच्छता के मामले में पिछड़ने के पीछे पंचायत अध्यक्ष की अनदेखी है।
नगर पंचायत के वार्ड संख्या चार के सभासद राजेश गुप्ता का कहना है कि अपने वार्ड ही नहीं नगर क्षेत्र के विकास के लिए नगर पंचायत में कई बार आवाज उठाई। पंचायत अध्यक्ष और अधिकारियों से भी क्षेत्र में वर्षों से व्याप्त समस्याआें के बारे में बताया। लेकिन तीन वर्ष से अधिक समय होने पर भी स्थिति जस की तस बनी है। क्षेत्र की गंदगी नगर के मार्गों पर दलदल का रुप ले चुकी हैं। बच्चे और वृद्ध आए दिन मार्गों पर जमा दलदल के कारण गिर रहे है। नालियों की वर्षाें से सफाई नहीं हुई। स्थानीय एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने भी इस ओर से पीठ कर ली है। यही कारण है कि नगर क्षेत्र में रहने वाले हजारों लोग गदंगी में रहने को मजबूर हैं।
वार्ड में रहने वाले योगेंद्र गुप्ता, राजू भार्गव, अशोक भार्गव का कहना है कि चुनाव के दौरान नए प्रतिनिधियों के आने पर उम्मीद जगी थी, लेकिन समय के साथ-साथ विकास और स्वच्छता की उम्मीद निराशा में बदल गई है। दूर-दूर तक विकास तो क्या सफाई होने के भी आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं।
क्षेत्र में ही रहने वाले लाला ठेकेदार, राजेश वाष्र्णेय, पविता रानी, सुनीता भार्गव सीमा भार्गव सविता जादौन यामिनी वाष्र्णेय ने नगर पंचायत अध्यक्ष और अधिकारियों के प्रति रोष व्यक्त करते हुए कहा कि मोदी सरकार और योगी सरकार विकास और स्वच्छता के दावे कर रही हैं। लेकिन यहां इन सरकारोंं के दावों की हवा निकल रही है। धरातल पर सरकारों के दावे झूठे साबित हो रहे हंै।