लखनऊ। देश के किसी भी कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी की मार्कशीट, डिग्री या फिर प्रदेश स्तर का खेल का सर्टिफिकेट की कीमत मात्र दस हजार रुपए में कुछ ही घंटों में उपलब्ध कराने वाले एक गैंग का एसटीएफ ने पर्दाफाश किया है। फर्जी प्रमाणपत्र बनाने वाले तीन जालसाजों एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। यह गैंग लखनऊ में सक्रीय था।
पकड़े जालसाजों के पास से कई विश्वविद्यालयों के ढाई हजार से ज्यादा प्रमाण पत्र, अंक पत्र और अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं। इनमें कई ब्लैंक दस्तावेज भी हैं। एसटीएफ का दावा है कि ये लोग 800 से ज्यादा लोगों को फर्जी दस्तावेज दे चुके हैं। ऐसे दस्तावेज अधिकतर निजी नौकरियों में लगाये गये हैं। एसटीएफ इस मामले में कई और लोगों को रडार पर लिये हुए हैं।
एसटीएफ के डिप्टी एसपी अवनीश्वर चन्द्र श्रीवास्तव के मुताबिक पकड़े गये जालसाजों में बड़ा बरहा, आलमबाग निवासी सुनील कुमार शर्मा, विराट नगर निवासी लल्लन कुमार सिंह और पुराना किला, सदर निवासी विश्वजीत श्रीवास्तव हैं। इनके पास इलाहाबाद विश्वविद्यालय, कानपुर विश्वविद्यालय,पालीटेक्निक के फर्जी दस्तावेज मिले हैं।
10 से 20 हजार रुपये वसूलते थे फर्जी दस्तावेज के लिये
आरोपी सुनील ने एसटीएफ को बताया कि वह लोग 10 हजार रुपये में कालेज के फर्जी दस्तावेज देते थे। सर्टिफिकेट लेने वाला व्यक्ति जिस भी कालेज या यूनिवर्सिटी की जरूरत बताता था, वही का दस्तावेज वह उपलब्ध करा देता था। दिल्ली व अन्य बड़ी यूनिवर्सिटी का प्रमाण पत्र देने के नाम पर वह ज्यादा रकम वसूलता था।
डिप्टी एसपी अवनीश्वर ने बताया कि इन लोगों ने ओलम्पिक एसोसिएशन की ओर से जारी फर्जी दस्तावेज तक तैयार कर दिये थे। ये लोग अधिकतर ग्रामीण इलाकों से आये लोगों को अपने चंगुल में फंसाते थे।
ऐसे तैयार करते थे दस्तावेज
जालसाजों ने बताया कि वह लोग जरूरत के मुताबिक दस्तावेज छपवा लेते थे। फिर इनकी मांग आने पर उस पर नाम व अन्य ब्योरा स्कैन कर देते थे जिससे ये एकदम असली प्रमाणपत्र की तरह लगते थे और किसी को शक नहीं होता था। इसके लिये इन लोगों ने आधुनिक प्रिन्टर और कम्प्यूटर अपने घर पर रखे हुए थे।