Sunday, May 19, 2024
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किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी, तीन दिन में मांगा जवाब


नई दिल्ली। 26 जनवरी को दिल्ली में किसान आन्दोलन के बीच हुई हिंसा को लेकर पुलिस दंगाईयों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई के मूड में है। 22 से ज्यादा दिल्ली के विभिन्न थानों में हुई एफआईआर के बाद गुरुवार को पुलिस ने किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किए हैं। यानी वे बिना इजाजत विदेश नहीं जा सकेंगे, उनके पासपोर्ट जब्त किए जाएंगे। हालांकि, यह पुष्टि नहीं हो पाई है कि लुकआउट नोटिस किन-किन नेताओं के खिलाफ जारी हुए हैं। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि जिन 37 नेताओं के खिलाफ पुलिस ने बुधवार को एफआईआर दर्ज की थी, उनमें से 20 के विरुद्ध लुकआउट नोटिस जारी किए गए हैं।

वहीं किसान नेता युद्धवीर सिंह ने हिंसा की घटनाओं पर माफी मांगने के साथ ही अपनी सफाई पेश की। उन्होंने कहा कि ‘गणतंत्र दिवस के दिन जो हुआ वो शर्मनाक है। मैं गाजीपुर बॉर्डर के पास था। जो उपद्रवी वहां घुसे उनमें हमारे लोग शामिल नहीं थे। फिर भी मैं शर्मिंदा हूं और 30 जनवरी को उपवास रखकर हम प्रायश्चित करेंगे।’

20 किसान नेताओं से पुलिस ने 3 दिन में मांगा जवाब

दिल्ली पुलिस ने बुधवार देर रात 20 किसान नेताओं को नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए, 3 दिन में इसका जवाब दें। जिन नेताओं को नोटिस दिए गए हैं उनमें से 4 के नाम अभी तक सामने आए हैं। इन किसान नेताआें योगेंद्र यादव, दर्शन पाल, बलदेव सिंह सिरसा और बलबीर सिंह राजेवाल शामिल हैं। पुलिस ने जो नोटिस भेजा है उसमें यह भी कहा है कि गणतंत्र दिवस पर लाल किले में तोड़फोड़ करना एक देश विरोधी हरकत है।

हिंसा में घायल पुलिसकर्मियों से मिले अमित शाह

गणतंत्र दिवस के मौके पर किसान आन्दोलन के बीच उपद्रव में दिल्ली पुलिस के 300 से ज्यादा जवान घायल हो गए। इनमें से कई अब भी अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें से कुछ जवानों का हाल जानने के लिए गृह मंत्री अमित शाह सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। यहां 2 जवान भर्ती हैं। गृह मंत्री तीरथराम अस्पताल में भर्ती जवानों का हाल जानने भी जाएंगे।

टिकैत ने फिर धमकी भरे लहजे में दी चेतावनी

ट्रैक्टर रैली में हिंसा को लेकर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के खिलाफ एफआईआर हो चुकी है। लेकिन, उनके तेवर नहीं बदले हैं। टिकैत ने अब सरकार को धमकी भरे लहजे में चेतावनी दी है। क्योंकि, गाजीपुर बॉर्डर पर बुधवार रात 8 बजे बिजली काटने से टिकैत गुस्सा हो गए।

टिकैत ने कहा कि ‘सरकार दहशत फैलाने का काम कर रही है। इस तरह की कोई भी हरकत पुलिस-प्रशासन न करे। अगर इस तरह की हरकत करेगा तो सारे बॉर्डर वहीं हैं। ठीक है…और वे किसान जो गांवों में हैं वहां पर उनको बता देंगे। फिर अगर कोई दिक्कत होती है तो वहां के जो लोकल के थाने हैं, किसान वहां पर जाएंगे। ये सरकार पूरी तरह ध्यान रख ले। इस तरह की कोई भी हरकत वहां होगी तो पूरी जिम्मेदारी सरकारों की होगी।’

बागपत में पुलिस ने धरने पर बैठे किसानों को हटाया

दिल्ली पुलिस के साथ ही बुधवार की रात को यूपी पुलिस भी एक्शन में दिखी। दिल्ली-सहारनपुर हाइवे पर यूपी के बागपत जिले के बड़ौत में धरने पर बैठे किसानों को पुलिस ने आधी रात को हटा दिया। यहां पिछले 40 दिन से किसान धरने पर बैठे थे। उधर, पुलिस की कार्रवाई के बाद बड़ौत के किसान आगे की रणनीति बनाने के लिए गुरुवार यानि आज पंचायत करेंगे।

दिल्ली हिंसा के बाद बिखरा किसान आंदोलन

दिल्ली की सीमाओं पर 2 महीने से शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा किसान आंदोलन गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा के बाद बिखरता नजर आ रहा है। एक तरफ पुलिस उपद्रवियों और किसान नेताओं की घेराबंदी करने में जुटी है, तो दूसरी तरफ किसान संगठनों में फूट भी जगजाहिर हो गई। बुधवार शाम 4 बजे राष्ट्रीय मजदूर किसान संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानु) एवं उससे पहले पंजाब के किसान नेता वाईबी सिंह ने ने अचानक ऐलान कर दिया कि वे आंदोलन से अलग हो रहे हैं। इसके डेढ़ घंटे बाद ही खबर आ गई कि भानु गुट के किसानों ने चिल्ला बॉर्डर पर अपने टेंट हटाकर घर लौटने की तैयारी कर रहे हैं। इसके अलावा किसान संगठनों ने एक फरवरी का संसद मार्च टालने का ऐलान भी कर दिया।

लाल किले पर धार्मिक झंडा लगाने वाले की पहचान हुई

किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुए बवाल में सबसे ज्यादा चर्चा लाल किले की घटना की हो रही है। क्योंकि, रैली में शामिल प्रदर्शनकारी पुलिस का दिया रूट फॉलो न कर लाल किले पर पहुंच गए थे। वहां उन्होंने जमकर उत्पात मचाया और किले की प्राचीर पर धार्मिक झंडा भी लगा दिया। झंडा लगाने वाले एक युवक की अब पहचान हो गई है। वह पंजाब के तरनतारन के वां-तारा सिंह गांव का रहने वाला है, उसका नाम जुगराज सिंह (22) है। उसके दादा महल सिंह ने कहा है कि जुगराज 24 जनवरी को दिल्ली गया था। वह लाल किले पर कैसे पहुंचा और किसके कहने पर वहां केसरी झंडा चढ़ाया? यह उन्हें नहीं पता।

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