Sunday, May 19, 2024
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मथुरा में 2 साल में ही 60 करोड़ की लागत से बना रेलवे ओवर ब्रिज होने लगा ढ़ेर

मथुरा। लक्ष्मीनगर को गोविन्द नगर एवं जन्म भूमि से जोड़ने वाले रेलवे ओवर ब्रिज 2 साल में ही धराशायी होने लगा है। करीब 60 करोड़ की लागत से सेतु निगम द्वारा बनाए गए पुल के बीच में एक बड़ा हिस्सा टूट कर गिर गया है। स्थानीय प्रशासन और अफसर मामले को लेकर चुप्पी साधे हैं। वहीं लोग दो साल में ही पुल के टूट जाने से हैरान है और इसे बड़ा भ्रष्टाचार बता रहे हैं।

यूपी में सपा शासन काल में शुरु हुए रेलवे ओवर ब्रिज वर्ष 2018 में बनकर तैयार हुआ। स्थनीय नेताओं ने इसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए लोकार्पण किया। लेकिन करीब 60 करोड़ की लागत से बना पुल दो साल भी टूटने लगा है। पुल के बीच में करीब दस पुुट लंबा और पांच फुटसे अधिक चौड़े हिस्से का लेंटर धराशायी हो गया। पुल के नीचे रह रहे लोग बाल-बाल बचे। वहीं पुल पर रफ्तार के साथ चलने वाले वाहन भी दुर्घटनाग्रस्त हो सकते हैं। टूटे पुल के कारण बड़ा हादसा कभी हो सकता है। बहरहाल निर्माण पूर्ण होने के दो साल बाद ही पुल का एक बड़ा हिस्सा टूटने पर सेतु निगम ने दोनों ओर से बोर्ड लगा कर वाहन चालकों को चेतावनी दी है। और एक हिस्से में वाहनों के आवागमन भी पिछले पांच दिनों से रोक लगा दी है।

स्थानीय लोगों द्वारा बताया जा रहा है कि इस पुल के बनने के कुछ दिन बाद ही नीचे से लेंटर झड़ने लगा था। आए दिन लेटर गिरने से सरिया निकल आई थी। पुल पर वाहन निकलते थे तो बड़ी दुर्घटना होने का डर लगा रहता था।

जानकारों का कहना है कि पुल निर्माण करने के नाम पर यह एक बड़ा घोटाला है। सेतु निगम द्वारा बनाया गया पुल दो साल भी नहीं चल सका। इस घोटाले में न सिफ्र सेतु निगम बल्कि तत्कालीन प्रशासनिक अफसर और नेता भी शामिल हो सकते हैं। लोगों का कहना हेै कि अंग्रेजी शासन में मथुरा में बने रेलवे पुल और अलीगढ वाला पुल अभी तक जनउपयोग में आए। लेकिन दो पहले ही लोकार्पण होने वाले पुल टूटने लगे हैं। यह चौकाने वाली बात है। इससे भ्रष्टाचार के साथ-साथ लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है।

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