Saturday, May 11, 2024
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इसरो की बेहतरीन यात्रा का नासा ने भी माना लोहा, चीन को दिखाई ताकत

नई दिल्ली। भारतीय स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो)का ईओएस-03 मिशन कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह से असफल हो गया। जिसकी वजह से वैज्ञानिकों में निराशा है। ईओएस-03 मिशन के दौरान क्रायोजेनिक इंजन में कुछ तकनीकी खराबी आने की वजह से वैज्ञानिकों को सिग्नल मिलने बंद हो गए और मिशन फेल हो गया। जिसकी जानकारी इसरो के चीफ डॉक्टर के सिवन ने दी।

लेकिन, इस नाकामी के बाद भी इसरो के साथ पूरा देश खड़ा है। क्योंकि इसरो ने जिस अद्भुत सफर को तय किया है। उस पर हर एक भारतवासी को गर्व है। इसरो ने एसएलपी से पीएसएलवी तक और पीएसएलवी से जीएसएलवी तक का सफर कैसे तय किया। इस महान और अद्भुत कहानी को जानना और हर एक भारतीय के साथ शेयर करना बेहद जरूरी है।

तीन दिनों के बाद भारत अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। उस वक्त इसरो अपने 52 सालों का सफर पूरे कर रहा है। पांच दशक से ज्यादा की इस यात्रा में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानि इसरो ने एक नहीं, दर्जनों बेहद महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं और भारत की विकास यात्रा में अपनी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसरो ने जब अपना पहला प्रोजेक्ट सैटेलाइट टेलिकम्यूनिकेशन एक्सपेरिमेंट प्रोजेक्ट लॉन्च किया था।

उस वक्त किसी ने नहीं सोचा था कि इसरो उस अद्भुत विकास के यात्रा पर निकल रहा है, जो उसे विश्व के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में अग्रणी पंक्ति में खड़ा कर देगा। इसको का पहला प्रोजेक्ट सैटेलाइट टेलिकम्यूनिकेशन एक्सपेरिमेंट ना सिर्फ कामयाब हुआ, बल्कि भारत में एक क्रांति लेकर आ गया। इसी सैटेलाइट की वजह से भारत में गांव-गांव तक टीवी की पहुंच बना दी।

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