Saturday, April 27, 2024
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भगवान गणेश के शरीर का प्रत्येक अंग और उनसे जुड़ी चीजों में धार्मिक दृष्टि से छुपा है रहस्य, जानिये

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी महासिद्धि विनायक कहलाती है। इसी दिन से गणपति उत्सव की शुरुआत होती है। इस साल गणेश चतुर्थी का महापर्व 10 सितंबर से शुरु होगा। इस दिन जहां-जहां गणपति की पूजा-आराधना होती है, वहां-वहां पर गणपति के भक्तों के द्वारा लगाया जाने वाला ‘गणपति बप्पा मोरया’ का जयघोष सुनाई देता है।


वेदों और पुराणों के अनुसार श्री गणेशजी आदि-देवता हैं। श्री गणेश जी की पूजा प्रत्येक शुभ कार्य में सबसे पहले की जाती है। प्रत्येक व्यक्ति उन्हें अपने भाव से पूजता है। जैसे कोई उन्हें दु:खहरता तो कोई सुखकरता के नाम से पूजता है। गणपति गुणों की खान हैं और उनका शरीर और उनसे जुड़ी हर चीज अपने भीतर कोई न कोई गुण को समाहित किये हुई है।


क्या कहता हैं गणपति का सिर भगवान गणेश जी का सिर हाथी का है। हाथी सभी प्राणियों में सबसे अधिक बुद्धिमान होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि यदि आपको जीवन की ऊंचाई को प्राप्त करना है तो आपको बुद्धिमान होना चाहिए। गणपति के बड़े कान का अर्थ आप सभी ने देखा होगा कि हाथी के कान सूप की तरह होते हैं और सूप का गुण होता है छिलके को फेंक कर अन्न (सत्व) को अपने पास बचाए रखना। कहने का तात्पर्य यह है कि हम बातें सभी की सुनें लेकिन उसमें से अच्छी चीजों का सार लेकर बाकी को छोड़ दें।

गणपति की छोटी आंख श्री गणेश जी की छोटी आंखें मनुष्य को जीवन में सूक्ष्म दृष्टि रखने की प्रेरणा देती हैं। हालांकि गणपति की छोटी आंखें दीर्घदृष्टि की भी सूचक हैं। गणपति की लंबी सूंड़ गणपति की लंबी सूंड़ दूर तक सूंघने में समर्थ है, जो हमें दूरदर्शी होने की सीख देती है। कहने का तात्पर्य है कि हमें दूर का सोच कर चलना चाहिए और किसी भी खतरे को पहले ही सूंघ लेने या फिर कहें अंदाजा लगा लेने का गुण रखना चाहिए। गणपति की लंबा पेट गणपति को लंबोदर भी कहा जाता है। गणपति के पेट के बड़े आकार का अर्थ है कि सबकी सुनी हुई बातों को अपने पेट में रखना चाहिए।

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