Wednesday, May 8, 2024
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डेल्टा से भी खतरनाक कोरोना का नया वैरिएंट, भारत के लिए हो सकता है ज्यादा खतरनाक

नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना से दुनियाभर के देश पिछले डेढ़ साल से अधिक समय से प्रभावित है। अभी भी तीसरी लहर की आशंका के बीच वैक्सीनेशन अभियान के साथ ही सावधानियां बरती जा रही है। वहीं इससे निजात पाने के विशेषज्ञ लगातार शोध कर रहे हैं। हालिया अध्ययनों में वैज्ञानिक कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को सबसे संक्रामक और घातक बताते रहे हैं। इसी बीच हालिया शोध में वैज्ञानिकों ने कोरोना के एक नए वैरिएंट के बारे में बताया है। इसे डेल्टा से भी खतरनाक बताया जा रहा है। कोरोना के इस नए वैरिएंट (सी.1.2) को वैज्ञानिक दुनिया के लिए बड़ी चुनौती बता रहे हैं। भारत के संदर्भ में भी वैज्ञानिकों ने इससे गंभीर खतरे को लेकर आगाह किया है।


दक्षिण अफ्रीका में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) और क्वाज़ुलु-नेटल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लेटफॉर्म (केआरआईएसपी) के शोधकर्ताओं ने बताया है कि इसी साल मई में सबसे पहले यह वैरिएंट दक्षिण अफ्रीका में पाया गया है। अगस्त के मध्य तक कोरोना का अत्यधिक संक्रामक यह वैरिएंट कई अन्य देशों में भी फैल चुका है। वैज्ञानिकों का कहना कि अब तक पूरी दुनिया डेल्टा वैरिएंट से खतरे को लेकर परेशान थी, इस बीच इस नए वैरिएंट ने समस्याओं को और बढ़ा दिया है।

अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि यह नया वैरिएंट शरीर में वैक्सीनेशन से बनी प्रतिरक्षा प्रणाली को आसानी से मात दे सकता है। ऐसे एक बार फिर सभी लोगों के लिए कोरोना का खतरा बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। आइए आगे की स्लाइडों में इस वैरिएंट के बारे में विस्तार से जानते हैं।

तेजी से अपना रूप बदल सकता है कोरोना का यह वैरिएंट


कोरोना के इस नए वैरिएंट को म्यूटेशन के लिहाजे से भी वैज्ञानिक बेहद खतरनाक बता रहे हैं। 24 अगस्त को प्रीप्रिंट रिपोजिटरी मेडरेक्सिव पर पीयर-रिव्यू अध्ययन के लिए पोस्ट किए गए डेटा के अनुसार सी.1 की तुलना में कोरोना के इस नए वैरिएंट सी.1.2 में तेजी से म्यूटेशन हो सकता है। इसका मतलब यह है कि कोरोना के इस नए वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में काफी तेजी से बदलाव होता रह सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि दुनियाभर में अब तक सामने आ चुके कोरोना के सभी वैरिएंट्स की तुलना में यह नया वैरिएंट अधिक उत्परिवर्तन है, यही इसे बेहद संक्रामक भी बनाता है।

प्रतिरक्षा प्रणाली चकमा देने की क्षमता


कोरोना के इस नए वैरिएंट को लेकर शोधकर्ताओं की सबसे बड़ी चिंता यह है कि यह वैरिएंट शरीर में संक्रमण या वैक्सीनेशन से बनी प्रतिरक्षा प्रणाली को आसानी चकमा दे सकता है। शोधकर्ता बताते हैं, सार्स-सीओवी-2 वायरस अपने स्पाइक प्रोटीन का उपयोग करके मानव कोशिकाओं को संक्रमित करते हुए उनमें प्रवेश करता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए कोरोना की सभी वैक्सीनों को तैयार किया गया है।

इस नए वैरिएंट सी.1.2 में एन440के और वाई449एच जैसे म्यूटेशनों का पता चला है। यह म्यूटेशन शरीर में बनीं प्रतिरक्षा को आसानी से मात देने की क्षमता रखते हैं। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज ले ली हैं, उनमें खतरा अन्य लोगों के मुकाबले कम हो सकता है।

कोरोना के इस नए वैरिएंट से संक्रमण के क्या लक्षण हो सकते हैं?


शोधकर्ताओं का कहना है कि चूंकि यह अभी नया वैरिएंट है, ऐसे में इसके बारे में जानने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है। ऐसे में स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है कि इस वैरिएंट से संक्रमितों में क्या लक्षण दिख सकते है। फिलहाल अब तक के अध्ययन के आधार पर पता चलता है कि संक्रमितों को नाक बहने, लगातार खांसी आने, गले और शरीर में दर्द, गंध और स्वाद की कमी, बुखार, मांसपेशियों में ऐंठन, आंखों के रंग में बदलाव के साथ दस्त आने की समस्या हो सकती है। यह वैरिएंट फेफड़ों को किस प्रकार से प्रभावित कर सकता है, इस बारे में जानने के लिए अध्ययन किया जा रहा है।

भारत के लिए क्यों है यह ज्यादा खतरनाक?

वैज्ञानिक कोरोना के इस वैरिएंट को भारत के लिए काफी खतरनाक बता रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है भारत में तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। कोरोना की दूसरी लहर के कम होते ही यात्रा प्रतिबंधों में ढील के साथ, व्यवसाय और स्कूल फिर से खोल दिए गए हैं। इसके अलावा देश में त्योहारों के मौसम की शुरुआत हो चुकी है, जिसके कारण लोगों में संक्रमण का खतरा फिर से बढ़ सकता है।

इसके अलावा इस नए वैरिएंट को इम्यूनिटी को चकमा देने वाला माना जा रहा है, ऐसे में यह संकट और बढ़ा सकता है। देश में अब भी बड़ी आबादी को वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगी है, यह चिंता को और भी बढ़ा देती है। विशेषज्ञ लोगों से फिलहाल सभी लोगों से मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग करने पर विशेष ध्यान रखने की अपील कर रहे हैं।

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