Monday, April 29, 2024
Homeशिक्षा जगतजी.एल. बजाज में ऊर्जा संरक्षण पर हुई कार्यशाला

जी.एल. बजाज में ऊर्जा संरक्षण पर हुई कार्यशाला

  • ऊर्जा संरक्षण समय की आवश्यकता
  • बीते साल जी.एल. बजाज ने 1.65 लाख यूनिट सौर ऊर्जा का किया उत्पादन


मथुरा। ऊर्जा किसी राष्ट्र की प्रगति, विकास व खुशहाली का प्रतीक होती है। आज ऊर्जा के असंतुलित और अत्यधिक दोहन के कारण जहां एक तरफ ऊर्जा खत्म होने की आशंका जताई जा रही है वहीं दूसरी ओर मानव जीवन, पर्यावरण, भूमिगत जल, हवा, पानी, वन, वर्षा सभी के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। बेहतर होगा इसके विकल्प अतिशीघ्र तलाशे जाएं वरना आसन्न संकट और भयावह हो जाएगा। उक्त विचार बुधवार को जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में ऊर्जा संरक्षण पर हुई वर्चुअल कार्यशाला में वक्ताओं ने व्यक्त किए।


कार्यशाला शुभारम्भ से पूर्व डॉ. आशुतोष शर्मा ने आमंत्रितों और सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए इस आयोजन की अवधारणा पर प्रकाश डाला। संस्थान की निदेशक प्रो. (डा.) नीता अवस्थी ने कहा भारत की आबादी विश्व की लगभग 17 प्रतिशत है तथा पर कैपिटा के आधार पर उपयोग लगभग सात प्रतिशत है लेकिन हम भारतीय जलवायु परिर्वतन की 100 प्रतिशत जिम्मेदारी लेते हैं।

प्रो. अवस्थी ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण तथा उसका उत्पादन करना आज के समय की आवश्यकता है। ऊर्जा संरक्षण व दोहन के बीच अगर समय रहते संतुलन नहीं बनाया गया तो स्थिति अनियंत्रित हो जाएगी। इसके लिए जरूरी है कि समाज को जागरूक किया जाए। ऊर्जा उत्पादन, उपलब्ध ऊर्जा का संरक्षण और ऊर्जा को सही दिशा देना भी जरूरी है। ऊर्जा को बचाने के लिए हमेशा छोटे कदमों की जरूरत होती है, जिनके असर बड़े होते हैं। दुनिया में जीवाश्म कम होता जा रहा है और ऊर्जा की आवश्यकताएं बढ़ती जा रही हैं। हमें ऊर्जा को बचाने व ऊर्जा को पैदा करने के लिए हर कदम उठाना चाहिए। वर्ष 2021 में जीएल बजाज ने 1.65 लाख यूनिट सौर ऊर्जा का उत्पादन कर लगभग 6 लाख रुपये की ऊर्जा ग्रिड को वापस भेजी।


कार्यशाला के समन्वयक प्रो. उदयवीर सिंह ने ऊर्जा संरक्षण पर जागरूकता पैदा करने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई कुछ पहलों पर चर्चा की। उसके बाद मोहम्मद मोहसिन ने प्रतिभागियों की प्रस्तुतियों के साथ कार्यक्रम जारी रखा। प्रत्येक प्रतिभागी ने पीपीटी और पोस्टरों के माध्यम से अपनी अवधारणा तथा विचारों को बहुत अच्छी तरह से प्रस्तुत किया। कार्यशाला में ऊर्जा के प्रभावी उपयोग और संरक्षण के विभिन्न मापदंडों पर भी चर्चा की गई। वक्ताओं ने ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारणों और प्रभावों के बारे में भी जानकारी दी। अंत में प्रो. उदयवीर सिंह ने संस्थान की निदेशक, विभागाध्यक्षों, संकाय सदस्यों और प्रतिभागियों सहित सभी उपस्थित लोगों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments