Thursday, May 8, 2025
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सीरियल किलर भाई छापने लगे जाली नोट, देश में नेटवर्क से फैलाया काला कारोबार


लखनऊ। यूपी की राजधानी व आसपास के इलाके में अवैध वसूली व प्रॉपर्टी के कारोबार में नुकसान हुआ। तो आर्थिक संकट खड़ा होने लगा। इस पर सीरियल किलर भाइयों के करीबी दो गुर्गों जमील व फरहान ने जाली नोट छापने का काला कारोबार शुरू कर दिया। इन जाली नोटो को बाजारों में चलाने के लिए दोनों गुर्गों ने सीरियल किलर भाइयों के नेटवर्क की जरूरत थी। जिसे तिहाड़ जेल में बंद सलीम ने पूरी कर दी। इसके बाद लखनऊ से लेकर आसपास के जिलों में जाली नोटों का कारोबार फैला। फिर धीरे-धीरे से दिल्ली, प. बंगाल, मुंबई जैसे बड़े शहरों में भी नेटवर्क बनाना शुरू कर दिया।

कमिश्नरेट की तालकटोरा पुलिस ने इस अवैध कारोबार का खुलासा 11 जनवरी को किया। इस दौरान जीआरपी सिपाही सहित पांच गिरफ्तार किये गये है। पुलिस के मुताबिक इन पांचों के खिलाफ गिरोह बंद की कार्रवाई के लिए जरूरी दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं। जिसमें जीआरपी सिपाही राहुल सरोज सहित पांच लोग शामिल थे। पुलिस को जाली नोट तस्करी की सूचना थी। लेकिन इन आरोपियों से जब पूछताछ की गई तो तस्करी की जगह जाली नोट छापने का गिरोह सामने आ गया।

इस गिरोह ने ठाकुरगंज इलाके में अपना ठिकाना बना रखा था। जहां नोट छापने का काम करते थे। गिरोह केपांच सदस्यों के पकड़े जाने की सूचना मिलते ही अन्य वहां से फरार हो गये। यहीं नही सबूत मिटाने के लिए बाल्टी व ड्रम में रखे गये दो हजार, पांच सौ, दो सौ व एक सौ व 50 के नोटों के बंडलों में आग लगा दिया। पुलिस पहुंची तो वहां पर जाली नोटों के अवशेष ही मिले थे। पुलिस ने अवशेष को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा। जिसकी जांच रिपोर्ट में जाली नोट छापने की पुष्टि हो गई।

करीबी गुर्गे छापते थे जाली नोट
एडीसीपी पश्चिम चिरंजीव नाथ सिन्हा के मुताबिक लखनऊ में जाली नोटों का कारोबार सीरियल किलर भाइयों सलीम, सोहराब और रूस्तम से सीधा जुड़ा है। जाली नोट छापने का काम सीरियल किलर भाइयों के करीबी गुर्गे जमील व फरहान करते थे। पुलिस के मुताबिक ये दोनों पहले सीरियल किलर भाइयों के लिए अवैध वसूली, प्रॉपर्टी, रंगदारी मांगने का काम करते थे। इसी की आड़ में वह विवादित संपत्ति खरीदकर उस पर अपना हक दिखाते। फिर मनमाने दाम पर बेच देते थे। लेकिन पिछले 6-7 सालों से प्रॉपर्टी के कारोबार में घाटा होने लगा। वहीं अवैध वसूली भी प्रभावित हुआ और आर्थिक संकट खड़ा होने लगा। इसके बाद फरहान व जमील ने जाली नोट छापने की तैयारी कर ली।

किलर भाइयों का नेटवर्क ने बाजार में फैलाया नोट
पुलिस के मुताबिक जाली नोट जमील व फरहान ने छाप लिये। वह भी हूबहू असली की तरह। जो एक बार बैंककर्मी भी धोखा खा जाएं। इन नोटों को मार्केट में फैलाने के लिए जमील व फरहान के पास कोई नेटवर्क नहीं था। इसके लिए दोनों ने सीरियल किलर भाइयों का सहारा लिया। तिहाड़ में बंद सलीम ने इसकेलिए हामी भर दी।
इसके बदले में सलीम को जितना नोट बाजार में फैलता उसके हिसाब से 30 प्रतिशत रकम सलीम को पहुंचाया जाने लगा। वहीं जो गुर्गे नोट बाजारों में चलाने लेकर जाते थे। उनको भी 5 से 10 प्रतिशत का कमीशन मिलने लगा।

जीआरपी सिपाही सहित पांच पर गैंगेस्टर
एडीसीपी पश्चिम चिरंजीव नाथ सिन्हा आलमनगर पुल के पास से जीआरपी का सिपाही राहुल सरोज, बिहार के मुबस्सिर, मो. अरबाज, शावेज खान और हसनगंज के सलमान को गिरफ्तार किया गया था। इनके पास से 500 और 50 के जाली नोट बरामद हुए थे।

पूछताछ में पता चला था कि इनके साथ तिहाड़ में बंद सलीम का खास गुर्गा फरहान भी है जो सारा नेटवर्क चला रहा है। फिर फरहान को पकड़ा गया और पूरे नेटवर्क का राजफाश हुआ। फरहान के खिलाफ हत्या के दो मुकदमे हैं। इसके अलावा अन्य के खिलाफ भी मुकदमें हैं। सिपाही का पहले का कोई अपराधिक इतिहास अभी नहीं मिला है। गिरोह के लोग नोटों की तस्करी ट्रेन के माध्यम से करते थे। इनके खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई की जाएगी। अपराध से जो भी संपत्ति अर्जीत की है उसे कुर्क किया जाएगा।

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