Saturday, May 18, 2024
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जीएल बजाज में हुआ साइबर सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय पैनल डिस्कशन


जीएल बजाज और ब्लॉकसेक कनाडा के बीच तकनीकी शिक्षा पर अनुबंध


मथुरा। दुनिया भर में साइबर अपराधों के बढ़ते मामलों की रोकथाम कैसे हो, इसकी जानकारी छात्र-छात्राओं को दिलाने के लिए बीती शाम जी.एल. बजाज ग्रुप ऑफ इन्स्टीट्यूशंस, मथुरा में साइबर सुरक्षा में एआई/एमएल की उपयोगिता पर एक अंतरराष्ट्रीय पैनल डिस्कशन हुआ। इस अवसर पर तकनीकी शिक्षा में एक-दूसरे को सहयोग देने के लिए जीएल बजाज मथुरा और ब्लॉकसेक कनाडा के बीच एक अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए। कार्यक्रम का शुभारम्भ कम्प्यूटर साइंस विभाग के हेड डॉ. रमाकान्त बघेल के स्वागत भाषण से हुआ।


इस अंतरराष्ट्रीय पैनल डिस्कशन में साइबर अपराध, साइबर सुरक्षा ढांचे के नवीनीकरण की आवश्यकता, साइबर सुरक्षा दृष्टिकोण की चुनौतियां और विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा किये गए प्रयासों पर भी विचार-विमर्श किया गया। पैनल डिस्कशन में अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ अरुण सिंह (सीईओ इलांटस टेक्नोलॉजी, यूएसए), पार्थ पांडा (सीईओ, साइसिव, यूएसए), किरन एल्लूरी (सीईओ, एनमार्क टेक्नोलॉजी, यूके) और केतन कापड़िया (सीईओ, ब्लॉकसेक, कनाडा) ऑनलाइन माध्यम से सम्मिलित हुए। इस पैनल डिस्कशन की मध्यस्थ कॉलेज की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी रहीं।


पैनल डिस्कशन में कॉलेज के सभी विभाग प्रमुखों तथा छात्र-छात्राओं को चारों साइबर सुरक्षा मामलों के जानकारों ने उपयोगी जानकारी दी। विशेषज्ञों ने बताया कि कुछ साल पहले इंटरनेट के माध्यम से होने वाले अपराधों के बारे में लोगों में जागरूकता का अभाव था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। एक साइबर अपराधी किसी उपकरण का उपयोग उपयोगकर्ता की व्यक्तिगत जानकारी, गोपनीय शासकीय-अशासकीय जानकारी या किसी डिवाइस को अक्षम करने के लिये कर सकता है। विशेषज्ञों ने कहा कि साइबर अपराध, जिसे इलेक्ट्रॉनिक अपराध के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसा अपराध है जिसमें किसी भी अपराध को करने के लिये कम्प्यूटर, नेटवर्क डिवाइस या नेटवर्क का उपयोग एक वस्तु या उपकरण के रूप में किया जाता है। बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक अपराधों को रोकने के लिए वर्तमान में साइबर सुरक्षा रणनीति सभी राष्ट्रों की सुरक्षा का अभिन्न अंग बन गई है।


जीएल बजाज के एक छात्र ने पूछा कि आज के समय में हम कैसे एआई/एमएल के सहयोग से ऑनलाइन पेमेंट में फ्रॉड ट्रांजेक्शन को डिटेक्ट करें? विशेषज्ञ अरुण सिंह ने कहा कि प्रेडिक्टिव एनालिसिस का प्रयोग कर हम फ्रॉड ट्रांजेक्शन को सहजता से रोक सकते हैं। इसी तरह दूसरे छात्र ने पूछा कि इनक्रिप्शन एल्गोरिदम्स को क्वांटम कम्प्यूटिंग के उदय से क्या किसी प्रकार का खतरा है? इस पर पार्थ पांडा ने कहा कि हमें सजग रहना होगा। हमें इनक्रिप्शन एल्गोरिदम्स को और मजबूत करने की दिशा में भी काम करना होगा। ब्लॉकचेन के समाज पर पड़ रहे प्रभाव के जवाब में केतन कापड़िया ने बताया कि ब्लॉकचेन माइनिंग करने की प्रक्रिया में बहुत सारी ऊर्जा की खपत होती है। किरन एल्लूरी ने इसमें जोड़ते हुए कहा कि आज के समय में ब्लॉकचेन का प्रयोग जमीन की रजिस्ट्री और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए किया जा रहा है। कार्यक्रम का समापन प्राध्यापक गौरव कुमार के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।

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