Tuesday, April 30, 2024
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संस्कृति विवि और एसकेयूएएस विवि जम्मू के बीच हुआ महत्वपूर्ण समझौता

  • शोध और शिक्षा के क्षेत्र में दोनों संस्थान मिलकर करेंगे काम

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय और शेर ए कश्मीर यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चरल साइंस एंड टेक्नोलाजी, जम्मू के मध्य श्रीनगर में एक समारोह के दौरान एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। विद्यार्थियों के ज्ञान और कौशल की उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए संस्कृति विवि द्वारा उठाए जा रहे कदमों के क्रम में यह मेमोरेंडम आफ अंडरस्टेंडिंग एक नया आयाम स्थापित करेगा, ऐसी उम्मीद की जा रही है।


संस्कृति विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस समझौते के तहत दोनों विवि के संकाय और छात्रों के लिए उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करने और दोनों संस्थानों के बीच संस्थागत जुड़ाव को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही विशेषज्ञों के विचारों का आदान-प्रदान हो सकेगा, परस्पर सहयोग से नई संभावनाओं को तलाशने में मदद मिल सकेगी। शोध के क्षेत्र में दोनों शिक्षण संस्थाओं के बीच विचारों और ज्ञान का महत्वपूर्ण समन्वय स्थापित होगा।
इस मौके पर संस्कृति विवि के कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने कहा कि हम आजीवन सीखने के युग में हैं। छात्रों को अपने पाठ्यक्रम के साथ-साथ अनुसंधान क्षेत्र में आवश्यक नवीनतम कौशल के साथ खुद को अपडेट रखने की भी आवश्यकता है। संस्कृति विश्वविद्यालय ने अपने छात्रों को नवीनतम कौशल से लैस करने के लिए उद्योग अकादमिक भागीदारी से लेकर पाठ्यक्रम स्तर के नवाचारों तक, एक महत्वपूर्ण प्रयास किया है।

इस एमओयू पर एसकेयूएएसटी जम्मू की ओर से कुलाधिपति प्रोफेसर जेपी शर्मा और संस्कृति विश्वविद्यालय की ओर से कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता द्वारा वित्तीय आयुक्त (अतिरिक्त मुख्य सचिव), कृषि उत्पादन विभाग अटल डुल्लू की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए । अन्य उपस्थित लोगों में प्रो नज़ीर अहमद गनई, कुलपति, एसकेयूएएसटी जम्मू; डॉ. सुशील कुमार गुप्ता, रजिस्ट्रार, एसकेयूएएसटी जम्मू, डॉ. एस.ए. वानी, निदेशक अनुसंधान, एसकेयूएएसटी कश्मीर, डॉ. एस.के. गुप्ता, निदेशक विस्तार, एसकेयूएएसटी-जम्मू और डॉ. रजनीश त्यागी, डीन कृषि, संस्कृति विश्वविद्यालय मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि समझौता ज्ञापन का उद्देश्य शैक्षणिक रुचि को बढ़ावा देना और शिक्षा की गुणवत्ता के कार्यान्वयन के लिए सलाह प्रदान करना और दोनों संस्थानों के बीच अनुसंधान जारी रखने वाली शैक्षिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। दोनों संस्थान संयुक्त रूप से विभिन्न क्षेत्रों के वैज्ञानिक को शामिल करते हुए परियोजना मोड में पारस्परिक हित के सहयोगी अनुसंधान कार्यक्रमों के संचालन के लिए विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान करेंगे।

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