- भक्तों की भावना देख दानघाटी मंदिर पर दो दिन दशहरा का आयोजन
कमल सिंह यदुवंशी
गोवर्धन। भक्त और भगवान का रिश्ता भाव की डोरी से बंधा है, प्रभु सेवा का आयोजन इतिहास के दावों का मोहताज नहीं है। भक्तों ने दो दिन दशहरा का पर्व मनाया तो गिरिराजजी के भक्त अपने प्रभु को गजब का लाढ़ लढ़ाने दोनों दिन पहुंचे। सेवायत ने दोनों दिन सात नदियों के जल से स्नान, इसके उपरांत सुगंधित इत्र से जमकर मालिश तथा रबड़ी, दूध आदि से अभिषेक कर दशहरा पर्व मनाने की तैयारी की है।
सेवायत मथुरा दास कौशिक लाला पंडित व पवन कौशिक ने बताया कि गुरूवार और शुक्रवार दोनों दिन दशहरा पर्व मनाया गया है। इसके लिए मंगला सेवा में गिरिराजजी का नीलकंठ के नीचे पशुलोक बैराज के गंगाजल, ऋषिकेश, प्रयागराज संगम, मंदाकिनी, गुप्त गोदावरी, नर्मदाघाट धुंआधार (जबलपुर) और करनाल से आगे जगाधारी आदि स्थलों के गंगा तथा यमुना जल से अभिषेक कराया जा रहा है। फिर मानसीगंगा से जल से अभिषेक कर सुगंधित इत्र लगाकर मालिश की जा रही है।
प्रभु के चरण और श्रीअंगों को दबाकर रात में शयन कराया गया। पवन कौशिक ने बताया दशहरा पर्व के लिए ही यह आयोजन किया जा रहा है। मथुरा दास कौशिक ने बताया कि सुलाने से पूर्व गिरिराज प्रभु को केसर युक्त अधौटा दूध समर्पित किया जाएगा। प्रभु को सुलाने के लिये शयन के पद सुनाए जाएंगे। इसके उपरांत पांच ज्योतियों से नजर उतारकर प्रभु को सुलाया गया। प्रभु को पीले रंग की अचला धारण कराया गया।