Monday, May 20, 2024
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जीएलए रिसर्च और इनोवेशन में अग्रणीः प्रो. कमल

  • 12 से अधिक रिसर्च सेंटरों के माध्यम से अनुसंधान पर जोर, इनोवेशन के लिए एन्टरप्रेन्यॉशिप सेल

मथुरा। समयानुसार इंसान किसी न किसी रूप में नए अनुसंधान की ओर अग्रसर है। इनमें से अधिकतर वर्तमान में इंटरनेट प्रयोग करने वाले शिक्षक और विद्यार्थी सहित प्रोफेशनल दिग्गज हैं। जिनके जहन में अवधारणाएं, आइडिया या विचार आते रहते हैं, जो कि उनकी दिलचस्पी के होते हैं और जो उन्हें प्रोत्साहित करते हैं। ठीक इसी के इतर जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के छात्र और शिक्षकों ने नए अनुसंधान पर जोर देते हुए 3 हजार से अधिक पब्लिकेशन, 400 से अधिक पेटेंट पब्लिश और 30 से अधिक पेटेंट ग्रांट कराये हैं।

अनुसंधान के क्षेत्र में पिछले कई वर्षों में जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा ने नए आयाम गढ़े हैं। 12 से अधिक रिसर्च सेंटर जिनमें सोलर एनर्जी, माइक्रो नेनो डेवलपमेंट, बेंटले लैब ऑफ एक्सीलेंस, सस्टेनेबल इनवायरनमेंट एंड एग्रीकल्चर, एडवांस्ड कंस्टंक्षन इंजीनियरिंग, सेंटर फॉर कम्प्यूटर विजन एंड इंटेलीजेंट सिस्टम, लैबव्यू एकेडमी, टेक्सास इंस्टूमेंट
इनोवेशन, सेंटर फॉर काउ साइंस, आईपीआर रिसर्च सेंटर के माध्यम से 3 हजार से अधिक पब्लिकेशन, 400 से अधिक पेटेंट पब्लिष एंड 30 से अधिक पेटेंट ग्रांट कराने में विष्वविद्यालय अग्रणी रहा है। कोरोना के दौर की बात की जाय तो रिसर्च के ग्राफ में अधिक बढ़ोत्तरी देखी गयी। जिनमें से स्कोपस में वर्ष 2020 में 689 और 2021 में 778 पब्लिकेशन हुए। वेब ऑफ साइंस/एससीआई इंडेक्स में वर्श 2020 में 223 और 2021 में 229 पब्लिकेशन हुए। एच इंडेक्स में वर्श 2020-21 में 36 पब्लिकेशन रहे, तो वहीं साइटेशन के बारे में बात की जाय तो वर्ष 2020 में 14 हजार 296 और वर्श 2021 में 15 हजार 273 का आंकड़ा ग्राफ ने छुआ।


रिसर्च पब्लिकेशन से अलग हटकर शिक्षक और छात्रों ने विभिन्न क्षेत्रों और कॉरपोरेट जगत के हित में अपने आइडिया सुझाते हुए भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय को पेटेंट फाइलिंग कर 400 से अधिक पेटेंट पब्लिश कराने सफलता हासिल की। इसके अलावा इन्हीं में से 30 से अधिक प्रोटोटाइप तैयार कर पेटेंट ग्रांट कराकर सफलता की सीढ़ी चढ़े। अगर इस सफलता की बात की जाय तो यह सफलता कोरोना की पहली और दूसरी लहर वर्ष 2020-21 में शिक्षक और छात्रों के अच्छी संख्या में हाथ लगी। वर्ष 2020 में 93 पेटेंट पब्लिश और 4 ग्रांट हुए। वर्ष 2021 में 120 से अधिक पब्लिश और 15 से अधिक ग्रांट हुए। यानि वर्क फा्रॅम होम के दौरान भी विश्वविद्यालय ने शिक्षकों और छात्रों भूरपूर सहयोग और सुविधाएं प्रदान कीं। जिससे उन्हें नए अनुसंधान करने में आसानी हुई।


जीएलए डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा ने कहा कि जो भी छात्र और शिक्षक सीखने को महत्व देते हैं, उनके लिए रिसर्च करना महत्वपूर्ण ही नहीं- बल्कि आवश्यक भी है। स्टूडेंट्स और शिक्षाविदों सहित सभी प्रोफेशनल्स और गैर-प्रोफेशनल्स को रिसर्च करना चाहिए। रिसर्च से अनजानी बातों का पता चलता है, और आपको इस दुनिया को देखने के अलग-अलग दृष्टिकोण मिलते हैं।
जब आप सीखने के प्रति गंभीर होते हैं, तो आप निरंतर आगे बढ़ते हैं। रिसर्च करने के लिए प्रेरणा अधिकतर, ज्यादा सीखने की इच्छा से मिलती है। उन्होंने इनोवेशन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अगर किसी शिक्षक या छात्र के पास कोई व्यावसायिक आईडिया है, तो उस आईडिया को जीएलए में स्थापित भारत सरकार के विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा चलायी जा रही स्कीम न्यूजेन आइईडीसी के माध्यम से उसके नवाचार एवं अविष्कार हेतु आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अलावा छात्रों के स्टार्टअप की षुरूआत और कंपनी रजिस्टर्ड कराने के लिए विश्वविद्यालय में टेक्नोलॉजी बिजनेस इंक्यूबेटर सेंटर स्थापित है, जो कि विद्यार्थियों को कॉरपोरेट दिग्गजों से मुलाकात कराने और उनके अविष्कार को मार्केट एवं कॉरपोरेट जगत पहुंचाने के लिए पूरी सहायता प्रदान करता है।

इसी के तहत अब तक 47 से अधिक स्टार्टटप और 28 से अधिक विद्यार्थियों की कंपनी रजिस्टर्ड हो चुकी हैं। इस सफलता के लिए इंक्यूबेषन सेंटर के निदेषक डॉ. मनोज कुमार, न्यूजेन आइईडीसी के जितेन्द्र कुमार, सेंटर फॉर स्किल एंटरप्रेन्यॉरशिप डेवलपमेंट से अभिषेक प्रताप गौतम एवं समस्त विभागाध्यक्ष, शिक्षक और छात्रों का आभार प्रकट किया।

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