वृंदावन। शरद पूर्णिमा पर ठाकुर बांकेबिहारी महाराज ने श्वेत वस्त्र और मुरली धारण कर स्वर्ण रजत सिंहासन पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दिए। वर्ष में सिर्फ एक बार ठाकुर बांकेबिहारी मुरली धारण कर दर्शन देते हैं। इस अवसर पर ठाकुरजी के दिव्य दर्शन के लिए रविवार को बांकेबिहारी मंदिर में हजारों श्रद्धालु पहुंचे। बारिश भी भक्तों के कदम नहीं रोक पाई। रविवार सुबह 7.45 बजे जैसे ही मंदिर के पट खुले वैसे ही श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में प्रवेश कर गई। मंदिर को सफेद गुब्बारों और सफेद कपड़ों से सजाया गया। दर्शन का यह क्रम दोपहर राजभोग आरती के तक रहा। इसके बाद शाम शयन भोग के दर्शन के लिए भी श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। मंदिर के पट खुलते ही जनसमुद्र मंदिर प्रागंण में उमड़ पड़ा। मंदिर के सेवायतों द्वारा ठाकुर बांकेबिहारी महाराज को मेवायुक्त खीर और चंद्रकला का भोग लगाया गया।
बारिश भी नहीं रोक सकी भक्तों की आस्था
बारिश के बीच भी श्री बांके बिहारी के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे। शरद पूर्णिमा पर अपने आराध्य के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से आए भक्तों की आस्था पर बारिश का कोई असर होता नहीं दिखा। कोई छाता लेकर मंदिर जाने के लिए गलियों में खड़ा था कोई गमछे से अपने सिर को ढका था। बारिश से भी भक्तों की आस्था नहीं डिगी। आराध्य के दर्शन पाकर श्रद्धालु कृतार्थ हुए।
महिलाओं ने गाए मंगल गीत
शरद पूर्णिमा पर ठाकुर बांकेबिहारी महाराज के दर्शन करने आईं महिलाओं ने मंगल गीत गाए। मंदिर में दर्शन के लिए गेट नंबर दो पर एकत्रित हुईं दिल्ली निवासी रागिनी गुप्ता, सुनीता अरोड़ा और महिमा मंगल गीत गाते हुए दर्शन का इंतजार करती दिखाईं दीं।
दो घंटे अधिक हुए दर्शन
शरद पूर्णिमा पर आने वाले भक्तों की सुविधा को देखते हुए एक-एक घंटा अतिरिक्त समय दर्शनों के लिए उपलब्ध हुआ। राजभोग आरती पूर्वाह्न 11.55 के स्थान पर दोपहर 12.55 पर हुई। दोपहर एक बजे दर्शन बंद हुए। इसके साथ शाम को शयनभोग आरती रात 9.25 बजे के स्थान पर 10.25 बजे हुई और दर्शन 10.30 बजे बंद किए।
लगाया खीर और चंद्रकला का भोग
शरद पूर्णिमा पर ठाकुर बांके बिहारी महाराज को खीर, चंद्रकला और दूधभात का भोग लगाया गया। मंदिर के सेवायतों ने सबसे पहले ठाकुरजी का दूधभात के साथ ही चंद्रकला और मेवा मिश्रित खीर का भोग लगाया।