Thursday, May 2, 2024
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गावों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रहे हैं आरोग्य मित्र

  • संस्कृति विवि में संपन्न हुई महत्वपूर्ण सेमिनार


मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के सभागार में ‘आरोग्य मित्रः द बैकबोन आफ आयुष्मान भारत’ विषय को लेकर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार के मुख्य अतिथि आरोग्य भारती के राष्ट्रीय सचिव डा. मुरली कृष्ण ने कहा कि बहुत से चिकित्सक भी यह नहीं जानते स्वास्थ्य क्या है। स्वास्थ्य जागरण के लिए ही आरोग्य भारती की को शुरू किया गया।

डा.मुरली कृष्ण ने सेमिनार में मौजूद संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज के विद्यार्थियों को बताया कि आज गांव-गांव में जाकर बताने की जरूरत है कि स्वास्थ्य क्या है, हमें क्या खाना चाहिए, कब उठना चाहिए, किन आदतों से बचना चाहिए, किन आदतों को अपनाकर हम कैसे अपना स्वास्थ्य अच्छा रख सकते हैं। दवा देने वालों की नहीं, स्वास्थ्य सुरक्षा के बारे में सोचने वाले लोगों की देन है आरोग्य भारती। उन्होंने कहा कि एक समाजसेवी के रूप में कार्य करने वाले लोगों की जरूरत है। जो नान मेडिकल लोग हैं उन्हें स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करना है। गांवों में जाकर महिलाओं और बुजुर्गों को स्वास्थ्य सुरक्षा के बारे में बताना है। अच्छे स्वास्थ्य के बारे में तीन प्रमुख चरण हैं, जिनको जानना जरूरी है, पाजिटिव, प्रमोटिव और प्रिवेंटिव। हेल्थ केयर के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण, उत्साहवर्धक माहौल और सुरक्षात्मक तरीके लोगों को बताने की आवश्यकता है, यह काम ही आरोग्य भारती का है। आरोग्य मित्र गांव-गांव जाकर इस काम को करते हैं।


उन्होंने कहा कि 30 साल तक पाजिटिव हेल्थ और 30 साल के बाद प्रमोटिव हेल्थ के बारे में सोचना है। 35 साल के बाद अच्छी नींद कैसे आए इस बारे में सोचना चाहिए। एक स्वस्थ मनुष्य के लिए सात घंटे की साउंड स्लीप जरूरी है, यही बातें आरोग्य भारती को बताना है। अच्छी आदतों को अपनी जीवन शैली में शामिल करना और बुरी आदतों का परित्याग करना चाहिए। 55 साल के बाद जीवन यू टर्न लेता है। लोगों को बताना है कि ऐसे में उनका क्या रोल होना चाहिए। डिटेचमेंट की प्रेक्टिस करनी होती है। अच्छी आदतों को कायम रखना होता है। उन्होंने बताया कि भारत में 20 हजार आरोग्य मित्र लोगों में जागरूकता ला रहे हैं।


सेमिनार में मौजूद आरोग्य मित्र संस्था के बृज क्षेत्र के अध्यक्ष डा. रमेश चंद्र ने बताया कि आरोग्य आयुष्मान भारत के लिए आरोग्य मित्र एक पुल का काम कर रहे हैं। गावों में लोगों को जानकारियां दे रहा है। सेमिनार का शुभारंभ विवि की परंपरा के अनुसार मां सरस्वती की वंदना और मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। संस्कृति विवि की विशेष कार्याधिकारी श्रीमती मीनाक्षी शर्मा की मौजूदगी में संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के प्राचार्य डा. सुजित के दलाई ने अतिथियों को शाल ओढ़ाकर और पौधा भेंट कर किया। कार्यक्रम का संचालन डा. सपना ने किया।

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