Sunday, May 19, 2024
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मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरौ न कोई रे

ब्रज रज उत्सव 2023

किशन चतुर्वेदी

मथुरा। मीरा के भजनों में एक भक्त की गुहार है, इष्ट से प्रेम का अलौकिक स्वरूप है तो एक ऐसा समर्पण का भाव है जो विरला है। कल्पना ही की जा सकती है कि उस समय प्रेम के इस दीवानेपन को देखकर कोई क्यों न जला होगा। मीरा ने इस प्रेम की खातिर कितने दिल जलाए और कितने दुश्मन बनाए, ये तो किस्से कहानियां बताते ही हैं लेकिन इस सब से बेखबर मीरा किस अमृत का पान कर रही थीं, ये उनके भजन बताते हैं। मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरौ न कोई रे, जाके सिर मोर मुकुट मेरौ पति सोई रे।

ब्रज रज उत्सव के मंच पर मीरा की 525वीं जयंती पर आयोजित मीरामय प्रस्तुतियों का दूसरा दिन था और प्रख्यात गायिका सुमित्रा गुहा अपनी गायिकी से मीरा के जीवन को जीवंत कर रही थीं। उनकी गायिकी के साथ अपने नृत्य से गायिकी की बंदिशों को सजीव कर रहे थे वे कलाकार जो अपने काम में पारंगत थे। रात के नौ बज रहे थे और पंडाल में बहुत अधिक दर्शक नहीं थे लेकिन कलाकारों को दर्शकों की संख्या नहीं सुधी दर्शकों की उपस्थिति ही प्रोत्साहित करती है और ऐसा यहां भी हो रहा था। जितने मन से कलाकार अपनी प्रस्तुति दे रहे थे उतने ही मन से उनकी इस कला का रसपान करने वाले कुछ सैंकड़ा दर्शक भी मौजूद थे। नृत्य नाटिका के एक के बाद एक दृश्य मंच पर चलचित्र की भांति चल रहे थे और दृश्य परक प्रकाश व्यवस्था उनको प्रभावी बना रही थी। मथुरा-वृंदावन की सांसद जो स्वयं में एक मंझी हुई कलाकार हैं, मौजूद थीं और इन कलाकारों के प्रदर्शन का आनंद ले रही थीं।

मंच पर पहली प्रस्तुति नृत्यांगना श्रीमती विद्या पांडे की हुई। मीरा के जीवन से जुड़े 14 पात्रों को अकेले ही अपने एकल नृत्य से जीवंत कर उन्होंने सबकी प्रशंसा बटोरी और दिखाया कि भारतीय नृत्य परंपरा कितनी समर्थ और संपूर्ण है। 12 वर्षीय देव चक्रवर्ती ने अपनी कम उम्र में जिस गायिकी का परिचय देते हुए मीरा बाई के भजन प्रस्तुत किए वो अपने आप में उनकी प्रतिभा का गुणगान करने के लिए पर्याप्त थे। जिस भाव के साथ वे गा रहे थे वो देखते ही बनता था। ये नन्हा कलाकार सांसद हेमा मालिनी का पौत्र है। वैदिक ॠचाओं की तरह लोक संगीत या लोकगीत अत्यंत प्राचीन एवं मानवीय संवेदनाओं के सहजतम उद्गार हैं। ये लेखनी द्वारा नहीं बल्कि लोक-जिह्वा का सहारा लेकर जन-मानस से निःसृत होकर आज तक जीवित रहे। राजस्थानी लोकगीत गायक समंदर मंगनियार ने अपनी सहज और दिल छूने वाली गायकी से सबको प्रभावित किया। वहीं संचालन कर रहे डा. अनिल चतुर्वेदी ने बीच-बीच में मीरा के जीवन से जुड़े अनेक वृतांत सुनाए। उन्होंने कहा कि ब्रज में जन्मे कृष्ण उनके साथी बनते हैं जिनको अपने भी नकार देते हैं। मीरा को अपनों ने कष्ट दिए तो कृष्ण ही सहारा बने। डा. चतुर्वेदी के कुशल संचालन ने प्रस्तुतियों से दर्शकों को बांधे रखा। कार्यक्रम के दौरान मथुरा-वृंदावन की सांसद हेमा मालिनी ने कलाकारों का सम्मान करते हुए उन्हें मीराबाई की सुंदर मूर्तियां भेंट कीं।

बाक्स-उत्सव में लगे चार चांद

तीर्थ विकास परिषद के द्वारा कन्हैया की नगरी में पिछले तीन सालों से आयोजित किया जा रहा ब्रज रज उत्सव अपनी बुलंदियों पर पहुंचने लगा है। इस महोत्सव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपस्थित होकर इसके महत्व को और बढ़ा दिया है। संस्कृति और कला से ओतप्रोत मथुरा-वृंदावन की सांसद हेमा मालिनी द्वारा उत्सव में ली गई रुचि और सहभागिता ने इसे महोत्सव का रूप दे दिया है। उनकी स्वयं की प्रस्तुति और राष्ट्रीय, अतंर्राष्ट्रीय कलाकारों की प्रस्तुतियों ने ब्रज रज उत्सव में चार चांद लगा दिए है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृष्ण भक्त मीरा में दिखाई गई रुचि और ब्रज रज उत्सव के दौरान मीरा बाई के 525वें जन्मदिन को लेकर मीराबाई के भजनों पर आधारित नृत्य नाटिकाएं उत्सव को एक ऩई ऊर्जा प्रदान कर रही हैं। कविता कृष्ण मूर्ति और सुमित्रा गुहा जैसी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गायिकाएं इस उत्सव को नई ऊंचाइयां प्रदान कर रही हैं।

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