Monday, April 29, 2024
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देवराहा बाबा कहते थे, प्रकृति के किसी भी कार्य की बुराई मत करो

     विजय कुमार गुप्ता

मथुरा। पूज्य देवराहा बाबा अक्सर कहा करते थे कि प्रकृति द्वारा किए गए किसी भी कार्य की बुराई मत करो, क्योंकि प्रकृति ईश्वर के आधीन है और प्रकृति का हर कार्य ईश्वरीय आज्ञानुसार होता है। इसीलिए प्राकृतिक कार्य की बुराई ईश्वर की बुराई के समान होती है।
     यह बात विगत एक-दो दिन पूर्व संत शैलजा कांत ने बातचीत के दौरान कही। दरअसल वार्तालाप के दौरान मैंने उनसे कहा कि मिश्रा जी ठंड बहुत जोर की पड़ रही है। इस पर वे बोले कि यह तो अच्छा है पड़ने दीजिए। इसके बाद उन्होंने कहा कि चाहे ठंड हो या गर्मी या फिर वर्षा ही क्यों न हो यह सब कुछ ईश्वर की मर्जी से होता है।
     शैलजा कांत जी कहते हैं कि पूज्य देवराहा बाबा अक्सर कहा करते थे कि ईश्वर सबके साथ न्याय करता है। न्याय के इसी दायरे में ये व अन्य सभी घटनाक्रम होते हैं। वे कहते हैं कि यदि ठंड अधिक नहीं पड़ेगी तो फसल के बहुत से जिन्सों की पैदावार पर फर्क पड़ेगा। इसी प्रकार गर्मी की स्थिति है और यही बात वर्षा पर लागू होती है।
     मिश्रा जी कहते हैं कि पिछले साल भारी वर्षा के कारण बाढ़ आई और काफी विनाश भी हुआ। हम लोग केवल विनाश को देखते हैं किंतु फायदों की और ध्यान नहीं जाता, जैसे उदाहरण के तौर पर वर्षा और बाढ़ के कारण जमीन का वाटर लेवल बढ़ गया, सूखे ताल तलैया पानी से लबालब हो गए। वे कहते हैं कि जमीन के अंदर भी जीवों का संसार है उन्हें भी पानीं की जरूरत होती है।
     महान संत देवराहा बाबा द्वारा दिए गए गूढ़ ज्ञान की कुछ बातें संत शैलजा कांत द्वारा बड़े ही सुगठित शब्दों में बताई जो वास्तव में आत्मज्ञान के भंडार को और भी पुष्ट करती है। दरअसल हम लोग अक्सर हाय गर्मी हाय जाड़ा और हाय वर्षा चिल्लाते हैं जो गलत है। इसके अलावा प्रकृति द्वारा और भी उथल-पुथल की जाती हैं, वे सभी ईश्वरीय न्याय व्यवस्था के अंतर्गत होती हैं जिन्हें हम अज्ञानी यानी सीमित बुद्धि के लोग आसानी से नहीं समझ पाएंगे, क्योंकि हम लोग केवल अपना स्वार्थ देखते हैं।
     शैलजा कांत जी के अंदर देवराहा बाबा की कृपा से एक अलौकिकता विद्यमान है। ईश्वर करें उनकी छत्रछाया में ब्रजमंडल दीर्घकाल तक फलता फूलता रहे।

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