Monday, May 20, 2024
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राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के तहत 15 फरवरी को बच्चों व महिलाओं को खिलाएं एलबेंडाजोल टैबलेट

  • अभियान के तहत 20 फरवरी को होगा मॉप-अप राउंड, जिसमें शेष बचे बच्चों व महिलाओं को किया जाएगा कवर

15वें राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन आगामी 15 फरवरी को किया जाएगा। भारत सरकार और एनएचएम, हरियाणा आगामी 15वें डीवॉर्मिंग राउंड को संस्थान आधारित निश्चित दिन के दृष्टिकोण से लागू करने के लिए तैयार है। उपायुक्त धीरेन्द्र खडग़टा ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्त दिवस 15 फरवरी को होगा और 20 फरवरी, 2024 को मोप-अप दिवस मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत एक से 19 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को कृमि मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत 1-2 वर्ष के बच्चों के लिए एल्बेंडाजोल टेबलेट की खुराक आधा टैबलेट, 3-19 वर्ष के बच्चों के लिए एक टेबलेट, प्रजनन आयु वर्ग (20-24 वर्ष) वाली महिलाओं (गैर-गर्भवती और गैर-स्तनपान कराने वाली महिलाओं ) के लिए एक टेबलेट का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि बच्चों में आंतों के कृमि संक्रमण के सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे को निपटाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन व हरियाणा की ओर से 15 फरवरी, 2024 को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इसके बाद 20 फरवरी, 2024 को मोप-अप दिवस मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य जिला के सभी बच्चों को उनके समग्र स्वास्थ्य, पोषण संबंधी स्थिति, संज्ञानात्मक विकास और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए कृमि मुक्ति उपचार प्रदान करना है। उन्होंने बताया कि कुछ मामलों में, बच्चों को कृमि मुक्ति के बाद मतली, हल्का पेट दर्द, उल्टी, दस्त और थकान का अनुभव हो सकता है। ये दुष्प्रभाव आमतौर पर अस्थायी होते हैं और इन्हें आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है। किसी भी प्रतिकूल घटना के लिए, राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम के दौरान सभी जिलों में मजबूत और अच्छी तरह से तैयार आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली मौजूद होंगी। उन्होंने कहा कि जब पेट में कीड़े हो जाते हैं तो बच्चों में शारीरिक व मानसिक विकार आता है और बच्चों पर इसका गहरा हानिकारक असर पड़ता है। उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे स्कूलों में दवा देते समय यह सुनिश्चित करें कि शत-प्रतिशत बच्चों को कवर किया जाए। ईंट-भट्टों पर भी अभियान के तहत बच्चों को दवा दी जाए।

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