मथुरा। सावन के पहले सोमवार को भगवान कृष्ण की लीला भूमि शिवमय हो गई। शिवालयों में सुबह से ही भक्तों का तांता लग गया। वेद मंत्रोच्चारों के मध्य भगवान शिव का जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और पंचामृत से अभिषेक कर पूजन किया गया। मंदिर जयकारों से गुंजायमान हो गए। कोविड-19 के चलते कांवड़ पर प्रतिबंद होने के कारण इस बार शिवालयों में कांवड़िये नहीं दिखे।
मथुरा में सावन के पहले सोमवार को रंगेश्वर, भूतेश्वर, सहित सभी शिवालयों में बड़ी संख्या में शिवभक्तों का तांता लगा रहा। भक्तों ने जल, दूध, दही, शहद, घृत, शक्कर, और केसर से मंत्रोच्चारों के मध्य रुद्राभिषेक किया। इसके बाद इत्र लगाकर बेलपत्र, धतूरा और आंक के पुष्प अर्पित किए। चंदन लगाया। धूप और दीप जलाकर आरती की। भक्तों का पूजन का क्रम निरंतर चलता रहा। वहंी मंदिर में कताबद्ध होकर आचार्य रुद्राष्टक का वाचन सस्वर कर रहे थे। मंदिर में के बाहर सैकड़ोंं की संख्या में शिव भक्त अपने आरध्य की पूजन के लिए अपनी बारी आने का इंतजार करते दिखे।
मथुरा के शिवालयों के अलावा वृंदावन के गोपेश्वर महादेव, कामां राजस्थान में स्थित कामेश्वर महादेव, महावन में चिंताहरण महादेव सहित अन्य सभी शिवालयों में भी रुद्राभिषेक के लिए भक्तों की भीड़ देखी गई। वात्सल्य ग्राम में साध्वी ऋतम्भरा द्वारा रुद्राभिषेक किया गया। जो कि फेसबुक पर लाइव दर्शाया गया।
आपको बता दें कि सावन माह में भगवान शिव के पूजन का विश्ोष महत्व है। सावन के सोमवार को भक्तों द्वारा सुबह अभिषेक, शाम को दीप और धूप आरती की जाती है। इसके अलावा महिलाएं और शिव भक्त व्रत रखते हैं। शाम के समय समय फलाहार लेकर व्रत खोलते हैं। मान्यता है कि सावन के सोमवार में भगवान शिव का पूजन करने से भक्त को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए ब्रज में ही नहीं देशभर में भगवान शिव का रुद्राभिषेक और पूजन अर्चना की जाती है।