Friday, May 17, 2024
Homeन्यूज़न्यूज़प्रिया प्रियतम महोत्सव में बही भक्ति की रसधार, विद्वजनों ने दी भावांजलि

प्रिया प्रियतम महोत्सव में बही भक्ति की रसधार, विद्वजनों ने दी भावांजलि

वृंदावन। पंडित जगन्नाथ प्रसाद भक्ति माली के 37 वें प्रिया प्रियतम मिलन महोत्सव के द्वितीय दिवस में विद्वत सभा आयोजित की गई। संत एवं विद्वजनों ने उन्हें भावांजलि अर्पित की।


विद्वत सभा में पं रमेश चंद्र विधि शास्त्री ने कहा कि जिसकी कीर्ति अमर होती है, वह सदैव जीवित रहते हैं। भक्तिमाली कहीं नहीं गए वे यहीं पर निकुंजों में भ्रमर की भांति घूम रहे हैं और श्यामा श्याम की आराधना कर रहे हैं। महंत भरत दास भक्तमाली ने कहा कि प्रिया प्रियतम महोत्सव जनसामान्य के द्वारा नहीं मनाया जाता ना ही जनसामान्य के बस की बात है। यह उत्सव तो स्वयं प्रिया प्रियतम मनाते हैं। उनकी जहां इच्छा होती ह,ै वहीं पर वह भक्तमाली के महोत्सव को मनाते हैं।

राम विलास चतुर्वेदी ने कहा कि पूज्य भक्तमाली के सर्वांग में ठाकुरजी के नाम की धुनी ही निकलती थी। उनका संपूर्ण अंग रस मय और प्रेम मय था। रंगीली सखी बाबा व श्याम सखी बाबा ने कहा कि भक्तमाली की कृपा से अनेक भागवताचार्य एवं भक्तमाल कथा के व्याख्याकार हुए हैं। यह परिकर कभी भी उनके द्वारा किए गए उपकार को कभी नहीं भूल सकता है।

महंत फूलडोल बिहारी महाराज ने कहा कि पंडित भक्तमाली निरपेक्ष संत थे। उन्हें कभी किसी से कोई अपेक्षा नहीं थी। फूलडोल ने कहा कि पूज्यपाद गुरुजी से न कोई बैर मानता था और न वे किसी के प्रति ईष्र्या या द्वेष मानते थे सही अर्थों में वह अजातशत्रु थे। स्वामी ने कहा कि पंडित जगन्नाथ प्रसाद भक्तिमाली सचल तीर्थ के समान थे उनके दर्शन का अर्थ साक्षात ठाकुर जी के दर्शन होना था। नामरूप लीला धाम का वे सम्यक स्वरूप थे।

पं रसिक शर्मा ने सभी का स्वागत किया। इस अवसर पर रामबाबू शर्मा, हक्कुभाई, दान बिहारी अग्रवाल, अरविंद शर्मा, लक्ष्मीकांत शर्मा, राधा रमन पाठक, मृदुल शर्मा, अभिराज शर्मा, प्रध्युम्न शर्मा, वासु शर्मा, संजय शर्मा, गिरधर गोपाल शर्मा, कृष्ण कुमार शर्मा आदि उपस्थित थे। महोत्सव में श्री बाबू लाल, राम नारायण, बंशी लाल, प्रेम सैनी, सोहन लाल, कुंज बिहारी आदि का सहयोग रहा। धन्यवाद ज्ञापन अनूप शर्मा ने किया।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments