- मृतक की बेटी ने नयति अस्पताल पर लगाया सवालिया निशान
- वेंटीलेटर पर 4 दिन रखने के बाद किया मृत घोषित
मथुरा। नयति अस्पताल में एक बार फिर मरीज के साथ बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। कोरोना की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी संदिग्ध कोरोना मरीज मानते हुए उसे कोरोना वार्ड में रखा गया। चार दिन से वेंटीलेटर पर रखने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया और मृतक के परिजनों को 5 लाख रुपए का बिल थमा दिया।
आगरा के कमला नगर निवासी बैंक अधिकारी संजय जिंदल की बेटी अंकिता जिंदल का कहना है कि उसके पिता को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। 17 सितंबर को पिता को नयति में भर्ती कराया। ताकि यहां सांस लने में दिक्कत होने पर ऑक्सीजन की सुविधा मिल सके। 18 सितंबर को कोविड-19 की जांच कराई थी। जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई। इसके बावजूद अस्पताल द्वारा कोरेाना वायरस का ही उपचार किया गया। मृतक की बेटी ने बताया कि जब इसका डॉक्टर से विरोध किया तो डॉक्टर ने कोरोना जांच रिपार्ट को दरकिनार करते हुए कहा कि संजय जिंदल कोरोना संक्रमित है और इसी प्रकार उपचार किया जाएगा। कोरोना संक्रमण का उपचार करने के दसवें दिन नयति अस्पताल ने मरीज को मृतक घोषित कर दिया और उपचार के 5 लाख रुपए का बिल थमा दिया।
मृतक की बेटी ने नयति अस्पताल से किए ये सवाल
- पिता की कोरेाना जांच रिपोर्ट नेगेटिव आने पर कोरोना संक्रमण का उपचार क्यों?
- पिता को कोरोना पेशेंट वाले वार्ड में क्यों रखा गया?
- मरीज की केस समरी में डायग्नोसिस मैसेजियर कोविड- 19 डिजीज
- मरीज की उपचार के दौरान मौत हो जाने पर कोविड-19 सस्पेक्टेड मरीज बताया जा रहा?
- यदि कोविड-19 का ट्रीटमेंट किया और मरीज संक्रमित था तो अस्पताल कोरोना के कारण मौत क्यों नहीं लिखकर दे रहा