- केन्द्रीय सूचना आयोग ने मंंत्रालय को जारी किया नोटिस
- आरटीआई एक्ट की धारा 20 के तहत जुर्माना लगाने की दी चेतावनी
नई दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक मंत्रालय,नेशनल इन्फर्मैटिक्स सेंटर यानि एनआईसी को नहीं पता कि कोरोना काल में मोदी सरकार के आरोग्य सेतु ऐप को किसने और कैसे बना है। यह खुलासा एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा मांगी जानकारी के बाद के हुआ। इस पर केंद्रीय सूचना आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक मंत्रालय, एनआईसी और एनईजीडी के सीपीआईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में कहा गया कि क्यों न आरटीआई एक्ट की धारा 20 के तहत उन पर जुर्माना लगा दिया जाए क्योंकि उन्होंने प्रथम दृष्टया सूचनाएं प्रदान करने में बाधा ड़ाली हैं और आरोग्य सेतु ऐप से संबंधित एक आरटीआई आवेदन का स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।
सूचना आयोग ने एनआईसी को यह बताने के लिए भी कहा है कि जब आरोग्य सेतु वेबसाइट में यह उल्लेख किया गया है कि प्लेटफॉर्म को उनके द्वारा डिजाइन, विकसित और होस्ट किया गया है, तो यह कैसे हो सकता है कि उन्हें ऐप के निर्माण के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
सूचना आयुक्त वनजा एन सरना ने कहा कि आयोग ने एनआईसी के सीपीआईओ को निर्देश दिया है कि वह इस मामले को लिखित रूप में बताए कि अगर उनके पास कोई सूचना नहीं है तो वेबसाइट आरोग्य सेतु डॉट जीओवी डॉट इन को डोमेन नाम जीओवी डॉट इन के साथ कैसे बनाया गया है। सूचना आयोग ने कहा कि सीपीआईओ में से कोई भी इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं कर पा रहा था कि ऐप किसने बनाया है, फाइलें कहां हैं और यह बहुत ही प्रतिकूल है।
आयोग ने इनको जारी किया कारण बताओ नोटिस –
1. एस के त्यागी, उप निदेशक व सीपीआईओ, 2. डी के सागर, उप निदेशक इलेक्ट्रॉनिक्स 3. आर ए धवन, वरिष्ठ महाप्रबंधक (एचआर और प्रवेश) एवं सीपीआईओ एनईजीडी
सूचना आयोग ने ये दिए निर्देश
आयोग ने उपर्युक्त सीपीआईओ को निर्देश दिया है कि 24 नवम्बर 2020 को दोपहर 1.15 बजे पीठ के समक्ष पेश हों और बताएं कि वह आरटीआई एक्ट की धारा 20 के तहत क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों शुरू की जाए? इसके अलावा सीपीआईओ को उन सभी सहायक दस्तावेजों की एक प्रति भेजने के लिए भी निर्देशित किया गया है, जिनका वे सुनवाई के दौरान हवाला देने चाहेंगे। लिंक पेपर के जरिए की जाने सुनवाई से 5 दिन पहले उक्त दस्तावेज आयोग को भेज दिए जाएं। यदि इस चूक के लिए कोई अन्य व्यक्ति जिम्मेदार है, तो सीपीआईओ इस आदेश की एक प्रति इस तरह के व्यक्तियों को भेज दें ताकि वह भी बेंच के समक्ष उपस्थित हो सकें।
सौरव दास द्वारा इस मामले में एक शिकायत दायर की गई है। जिसमें कहा गया है कि संबंधित सरकारी एजेंसी एनआईसी, राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन (एनईजीडी) और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) उसको आरोग्य सेतु ऐप को बनाने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्रस्तुत करने में विफल रहे हैं। उसने बताया था कि उसने एक आरटीआई को एनआईसी के समक्ष दायर की थी, जिसके जवाब में उसे बताया गया कि उनके पास ऐप के निर्माण से संबंधित जानकारी नहीं है, जबकि यह बहुत आश्चर्यजनक है क्योंकि उन्होंने ऐप को बनाया गया है।
उन्होंने आगे बताया कि एनईजीडी और एमईआईटीवाई ने भी ऐप के निर्माण और अन्य मामलों से संबंधित कोई जानकारी नहीं दी है। बड़े पैमाने पर लोगों द्वारा उपयोग किए जा रहे एक ऐप के लिए इस तरह की जानकारी न देने से चिंतित, याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया था। इस ऐप को कैसे बनाया गया है, इसके निर्माण से संबंधित फाइलें, जिन्होंने इस ऐप के निर्माण के लिए इनपुट दिए हैं, लाखों भारतीयों के व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग की जांच के लिए क्या ऑडिट उपाय मौजूद हैं, क्या उपयोगकर्ता के डेटा के लिए कोई भी प्रोटोकॉल विकसित किया गया है और इस डेटा को किसके साथ साझा किया जा रहा है, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि इन सार्वजनिक एजेंसियों द्वारा कोई भी चूक और कमीशन और प्रोटोकॉल, 2020 के तहत उल्लिखित और अनिवार्य रूप से अपने कर्तव्यों को निभाने में कोई विफलता लाखों भारतीयों के व्यक्तिगत और उपयोगकर्ता डेटा की सुरक्षा से समझौता होगा। यह एक बड़े पैमाने पर निजता के मौलिक अधिकार का गंभीर उल्लंघन होगा और लोगों को संवैधानिक रूप से मिले जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के लिए खतरा होगा।