Monday, May 6, 2024
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धवल चांदनी में मोर मुकुट, कटि काछिनी व मुरली धारण कल दर्शन देंगे श्री बाँकेबिहारी

वृंदावन। तीर्थनगरी वृंदावन के सुप्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर में धवल चांदनी में श्वेत वस्त्र धारण जन-जन के आराध्य बांकेबिहारी भक्तों को दर्शन देंगे। शुक्रवार को कार्तिक माह की पूर्णिमा पर सुप्रसिद्ध बाँकेबिहारी मंदिर में ठाकुर बांकेबिहारी महाराज मोर मुकुट, कटि काछिनी एवं वंशी धारण करके भक्तों को दर्शन देंगे। ये दर्शन वर्ष में एक बार होते हैं। मंदिर के सेवायत गोस्वामियों द्वारा तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं।

मंदिर के सेवायत प्रदीप गोस्वामी ने कार्तिक पूर्णिमा की तैयारियों को लेकर बताया कि शुक्रवार को शरदोत्सव पर भगवान की श्री अंग सेवा उत्सव के रुप में मनाया जाएगा। इसमें भक्तों के लाड़ले ठाकुर श्री बाँकेबिहारी महाराज को मोर मुकुट, कटिकाछिनी, मुरली और लकुटी धारण कराई जाएगी। ठाकुरजी मंदिर के गर्भगृह से बाहर जगमोहन में चांदी और सोने से जड़े सिंहासन पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे। मंदिर में ठाकुरजी के विशेष दर्शन सुबह और शाम दोनों समय होंगे।

दो घंटे अधिक समय खुलेंगे श्री बाँकेबिहारी के पट

शरदोत्सव पर बांकेबिहारी मंदिर प्रंबधन ने कोरोनाकाल में श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ठाकुर बाँकेबिहारी के पट प्रतिदिन की तुलना में दो घंटे अधिक समय तक खोले जाने का निर्णय लिया है।
मंदिर के सह प्रबंधक उमेश सारस्वत ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पर अधिक से अधिक भक्तों को सहजता के साथ अपने आराध्य के दर्शन हो सकें, इसलिए मंदिर के पट दो घंटे अधिक समय तक खोले जाने का निर्णय लिया है। शुक्रवार को प्रात: 8.00 से दोपहर 1.00 तक और शाम को 5.30 से रात्रि10.30 बजे तक मंदिर के पट खोले जाएंगे। जबकि सामान्य तौर पर मंदिर के पट दोपहर 12 बजे और रात्रि को 9.00 बजे तक दर्शन खुलते हैं।

दिल्ली में सिल्क की पोशाक और जयपुर श्री बाँकेबिहारी का श्रृंगार बना

मंदिर के सेवायत अतुल गोस्वामी ने बताया कि शरदोत्सव पर जयपुर से श्रीबांकेबिहारी का श्रृंगार, चांदी की लकुटी, मुरली, दो मोर मुकुट बनवा कर लाए गए हैं। जबकि दिल्ली से ठाकुरजी की सिल्क की पोशाक जिस पर जरी का वर्क हो रहा है। इसके अलावा श्वेत रंग की कटिकाछिनी भी दिल्ली से ही लाई गई है।

 

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