पेरिस। फ्रांस में आतंकी हमलों के बाद से सरकार ने मुस्लिम कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। फ्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड डेरमैनियन ने साफ शब्दों में कहा है कि मस्जिदों की जांच की जा रही और कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाले संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन मस्जिदों के खिलाफ सबूत पाए गए उन पर ताला लगना तय है। सरकार को जांच में पता चला है कि देश में कुछ जगहों से कट्टरता और अलगाववाद को बढ़ावा दिया जा रहा है और इनके खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे।
गेराल्ड डेरमैनियन ने कहा कि कुछ मस्जिदों को बंद किया जा सकता है, क्योंकि ये आतंकवाद को बढ़वा दे रही हैं। इससे देश में अलगाववाद बढ़ रहा है। पेरिस के एक उपनगरीय इलाके की मस्जिद को पहले ही 6 महीने के लिए बंद किया जा चुका है। अक्टूबर में हिस्ट्री टीचर सैमुअल पैटी की हत्या करने वाला आतंकी इसी मस्जिद से जुड़ा था। वह मूल रूप से चेचेन्या का रहने वाला था और गैर कानूनी तौर पर फ्रांस में रह रहा था।
बता दें कि फ्रांस में अक्टूबर में एक हिस्ट्री टीचर का सिर काटकर उसे मौत के घाट उतार दिया गया था। इसके बाद नीस शहर में एक कट्टरपंथी ने तीन लोगों की हत्या कर दी थी।
76 मस्जिदों पर है कट्टरता फैलाने का शक
फिलहाल, 76 मस्जिदें शक के घेरे में हैं और इनकी जांच की जा रही है। इनमें से 16 पेरिस और आसपास के क्षेत्रों में हैं। बाकी 60 देश के दूसरे हिस्सों में हैं। एक अनुमान के मुताबिक, फ्रांस की कुल जनसंख्या इस वक्त करीब 6.50 करोड़ है। इनमें से 7 फीसदी मुस्लिम आबादी है। देश में कुल मिलाकर 2600 मस्जिदें हैं। तीन साल में तीन मस्जिदों को सरकार बंद कर चुकी है। यूरोप में जितने मुस्लिम देश हैं, उनमें से सबसे ज्यादा मुस्लिम फ्रांस में ही रहते हैं। हिस्ट्री टीचर की हत्या के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने साफ कर दिया था कि इस्लामिक कट्टरता को जड़ से खत्म करना जरूरी है और उनकी सरकार इसके लिए हर कदम उठाएगी।