Monday, April 29, 2024
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धनुष भंग के साथ सिया जू ने श्री राम के गले में वरमाला डाली


वृंदावन। सिय-पिय मिलन महोत्सव 51 वॉ वर्ष के गुरूवार को श्री सुदामा कुटी के साथ ही रात्रि बेला में धनुष यज्ञ के आयोजन के साथ ही सीता स्वयंवर का अलौकिक नजारा दर्शकों के सामने दृश्यमान हुआ। महोत्सव के सातवें दिन पुष्प वाटिका प्रसंग के साक्षी बनने के लिए जहां श्री खाकी बाबा सरकार तथा नारायण दास भक्त माली मामा जी महाराज के चित्र अधिष्ठपित थे।


रात्रि की राम लीला में दिखाया जाता है कि राजा जनक ने सीता विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया है. इसमें दूर-दूर से राजा और राजकुमार आए हैं. लेकिन कोई भी भगवान शिव के धनुष को तोड़ नहीं पाया. राजा जनक निराश होकर कहने लगे कि लगता है कि यह धरती वीरों से खाली हो गयी है. यह सुन लक्ष्मण क्रोधित होते हैं. हालांकि प्रभु श्रीराम उन्हें शांत रहने का इशारा करते हैं। कुछ देर बाद गुरु विश्वामित्र की आज्ञा प्राप्त कर श्रीराम शिव धनुष को उठाने जाते हैं तथा देखते ही देखते धनुष को उठा कर उसके प्रत्यंचा चढ़ा देते हैं, जिससे धनुष टूट जाता है. तत्पश्चात श्री जानकी जी प्रभु श्री राम के गले में वरमाला डाल देती हैं तथा पूरा पंडाल प्रभु श्री राम तथा श्री जानकी के जयकारों से गूंज उठता है।

बारात निकलने से पूर्व हुई रस्मअदायगी

सिय-पिय मिलन समारोह के दौरान श्रीराम की बारात निकलने से पूर्व उन सभी रस्मों को पूरा किया गया. जिसका निर्वहन शादी से पूर्व किया जाता है. भगवान श्रीराम की बारात रवाना होने से पूर्व महिलाओं ने हल्दी व मटकोड़ की रस्म अदायगी की. “आनंद सगुन सुहावन हरदी लगावन हे..” तथा “हरदिया बड़ी पातर हे..” आदि हल्दी गीतों को गाती हुई महिलाएं कुदाल से माटी की कुड़ाई की, फिर जनक नंदनी सीता व भगवान श्रीराम समेत चारों भाईयों को हल्दी का लेप लगाकर मंगल परंपराओं को जीवंत किया.

मंगल गाली सुन निहाल हुए बाराती

बरात के दौरान परंपरागत मंगल गीत व गालियां गाकर बरातियों को निहाल कर दिया गया. इस दौरान पूज्य संत भक्तमालीजी द्वारा रचित “हवन बड़ा धीर हो पहुना के गरियईह जनि..” आदि मंगल गाली गाकर मिथिला वासियों ने भगवान श्रीराम समेत चारों भाईयों की भरपूर खिंचाई की. इन गीतों के माध्यम से भगवान के प्रति भक्ति की जो ससुराली रस धार बही उसकी अनुभूति अनुपम थी. मिथिला की पारंपरिक मंगल गाली को सुनकर बाराती तथा संत व विद्वान भी भाव विभोर हो गए.


ञात हो कि संत नेहनिधि नारायण दास भक्तमाली के लीला परिकरों द्वारा रामचरित्र दास, नरहरिदास महाराज, अनूप शर्मा व सियादीदी के देख रेख में तथा महंत सुतीक्ष्ण दास के सानिध्य में कार्यक्रम चल रहा है।

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