Saturday, May 4, 2024
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वसुंधरा राजे के राजस्थान की राजनीति में होने से गहलोत सरकार को कोई खतरा नहीं

राजस्थान की राजनीति में इन दिनों जबर्दस्त हलचल है। जिस प्रकार कांग्रेस में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट नाराज हैं, उसी प्रकार भाजपा में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और उनके समर्थक खफा है। यदि कांग्रेस में एससी एसटी वर्ग के विधायक कोई नाराजगी दिखाते हैं तो भाजपा में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे अपने जन्मदिन के मौके पर भाजपा के 30 विधायकों को जमा कर लेती हैं। कांग्रेस की असंतुष्ट गतिविधियां वसुंधरा राजे की गतिविधियों से ठुस्स हो जाती हैं।


असल में जब तक वसुंधरा राजे की रुचि राजस्थान की राजनीति में बनी रहेगी, तब अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को कोई खतरा नहीं है। इस हकीकत को समझते हुए ही अब गहलोत ने सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों की परवाह करना छोड़ दिया है। राजे को प्रदेश की राजनीति से दूर रखने के लिए ही भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन पिछले दो वर्ष में राजे ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर भाजपा में कोई सक्रियता नहीं दिखाई है।

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राजे यह तो कहती है कि जनसंघ का दीपक और भाजपा का कमल देशभर में जलाने और खिलाने में उनकी माताजी विजयराजे सिंधिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए वे कभी कमल को मुरझाने नहीं देंगी, लेकिन वहीं वसुंधरा राजे भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व का कहना नहीं मान रही है। राष्ट्रीय नेतृत्व की भावनाओं के विपरीत राजे प्रदेश की राजनीति में रुचि बनी हुई है। इस रुचि के चलते ही अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को खतरा नहीं है।

सीएम गहलोत भी राजे की रुचि को समझते हैं, इसलिए हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद भी जयपुर में सिविल लाइन क्षेत्र में बंगला संख्या 13 दे रखा है। राजे को यह बंगाल सिर्फ गहलोत की मेहरबानी से मिला हुआ है। सवाल उठता है जो बंगाल मेहरबानी से मिला हुआ है, उसमें वसुंधरा राजे क्यों हर रही हैं? वसुंधरा राजे कोई साधारण राजनेता नहीं है, जिन्हें सरकारी बंगले के लिए विरोधी दल के मुख्यमंत्री की मेहरबानी की जरूरत हो। राजे राजस्थान के धौलपुर घराने की महारानी हैं।

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धौलपुर घराने के साथ साथ देश की राजधानी दिल्ली में अपार संपत्तियां हैं। राजघराने की सम्पत्तियों के सामने एक सरकारी बंगला राजे के लिए कोई मायने नहीं रखता हैं, लेकिन सरकारी बंगले में राजे की उपस्थिति कई सवाल उखड़े करती है। यदि वसुंधरा राजे की रुचि प्रदेश की राजनीति में नहीं होती तो हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही सीएम गहलोत बंगला संख्या 13 खाली करवा लेते।

राजे को केबिनेट मंत्री वाले बंगले में बनाए रखने के लिए गहलोत ने सरकारी नियमों में भी बदलाव कर दिए। राजे के बंगले की तुलना विधानसभा में निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने दिल्ली में प्रियंका गांधी के बंगले से कर दी। लोढ़ा ने कहा कि जब दिल्ली में नरेन्द्र मोदी की सरकार ने प्रियंका गांधी से सरकारी बंगले में क्यों रखा जा रहा है? विधायक लोढ़ा के इस सवाल का सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। इससे गहलोत और राजे के संबंधों का अंदाजा लगाया जा सकता है।

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