Wednesday, April 24, 2024
Homeडिवाइन (आध्यात्म की ओर)ब्रज की होलीरमणरेती में होली के रसिया गायन के मध्य श्रद्धालुओं ने खेली फूलों...

रमणरेती में होली के रसिया गायन के मध्य श्रद्धालुओं ने खेली फूलों की होली

महावन। रमणरेती स्थित काष्र्णि गुरु शरणानंद के आश्रम में फूलों की होली खेली गई। विभिन्न क्षेत्रों से आए हजारों भक्तों ने भक्ति रस के आनन्द के साथ ब्रज की होली में सराबोर हुए।


बुधवार प्रात: रमणरेती में गुरु शरणानन्द महाराज के सानिध्य में भगवान रमणबिहारी का विशेष पूजन किया गया। उन्हें पुष्प और रंग अर्पित किया गया। इसके पश्चात रासलीला का मंचन ब्रज के कलाकारों द्वारा हुआ। भगवान कृष्ण की लीलाओं के मंचन के मध्य फूलों की होली खेली गई।

भगवान राधाकृष्ण के स्वरुपों के साथ काष्र्णि गुरु शरणानन्द महाराज ने भी फूलों की होली का आनन्द लिया। इसके पश्चात ब्रज के होली के रसिया गायन के बीच भक्तों पर जमकर फूल बरसाएग गए। इस बीच काष्र्णि गुरु शरणानन्द ने भक्तों को प्रसादी लड्डू भी लुटाए। लड्डूओं को प्राप्त करने के लिए भक्तों में होड़ सी मच गई। वहीें महिला भक्त, युवा और बच्चे होली के रसियाओं पर जमकर नाचे और होली का भरपूर आनन्द लिया।


र्कािष्ण गुरु शरणानन्द महाराज ने कहा कि होली में परमानन्द की अनुभूति है एक रस तत्व है। वेद में ब्रह्म को रस कहा गया है। परम तत्व को रस कहा है। यह रसतत्व सभी में विद्यमान है। लेकिन वह आवृत्त है यानि ढका हुआ है। तो यहां संतों के आशीर्वाद से ठाकुरजी की लीला दृष्टि से, कीर्तन करने से जितनी देर के लिए भी सही रस तत्व आवृत्त निवृत हुआ तो हमारा जो रस रुप है वह स्वयं प्रकट हो गया। वह हमें कहीं से लाना नहीं पड़ा। जब आनन्द की अनुभूति होती है तो हमें नाचना पड़ता नहीं है हमारी चाल अपने नाम नाच में बदल जाती है। हमको गाना नहीं पड़ता है। जो भी हम कहते हंै वह सभी रुप गायन में बदल जाता है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments