Friday, April 19, 2024
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गुलाल की घनघोर घटा, रंगों की बौछार के बीच हुई बरसाना में लठामार होली, छाया उल्लास

मथुरा। बरसाना में सुप्रसिद्ध लठामार होली की धूम मची है। बरसाना की सखियों ने सोलह श्रृ़ंगार कर नन्दगांव से आए हुरियारों पर जमकर लाठियां बरसाई। हुरियारे सखियों के आगे बैठकर ढाल से लठों का बचाव करते हुए होली के रसियाओं का गायन कर रहे हैं। यह मनोरम दृश्य देख देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं भी झूम उठे। वहीं टेसू के फूलों का रंग जमकर बरसा वहीं रंगबिरंगे के गुलाल की घटा छा गई। चहुंओर होली की खुमारी छाई। यह नजारा था बरसाना की रंगीली गली में सुप्रसिद्ध लठामार होगी का।


द्वापर युग से चली आ रही होली की पंरपरा का निर्वाह बरसाना और और नन्दगांव के गोस्वामी परिवारों द्वारा किया गया। नन्दगांव से सजे-धजे पारंपरिक ब्रज की पोशाक, बगलबंदी, कुर्ता और धोती और सिर पर पगड़ी और हाथ में ढाल और रंग लिए जैसे ही प्रिया कुण्ड पर आए। वहां बरसाना के गोस्वामियों ने उनका स्वागत किया। यहां हुरियारों ने बरसाना में लठामार होली खेलने की तैयार हुए। जिसमें उन्होंने पगड़ी बांधी और भांग आर डण्डाई पीकर बरसाना के सुदामा चौक होते हुए राधारानी के मंदिर पहुंचे।

भगवान कृष्ण स्वरुप झंडा को राधारानी मंदिर में विराजित किया। मंदिर के चौक में बरसाना और नन्दगांव के गोस्वामियों ने समाज गायन किया। जिसमें होली के पदों का पारंपरिक गायन कर किया। इन पदों पर कुछ गोस्वामी और सखी भाव नृत्य कर रही थ।

गुलाल बरस रहा था। सभी रंग में सराबोर हो रहे थे। समाज होने के पश्चात होरी के रसियाओं का गायन करते हुए नन्दगांव के हुरियारे रंगीली गली में पहुंचे और सखियों यानि बरसाना की हुरियारिनों को होली के लिए बुलाया। पारंपरिक पोशाक में हुरियारिनें हाथों में लठ लेकर होली खेलने की आईं और जमकर पे्रम पगी लाठियां हुरियारों पर बरसाई। सूर्यास्त होने तक लठामार होली का यह सिलसिला चलता रहा। ब्रज की इस आकर्षक होली को देखने के लिए लाखों लोग देश-विदेश से बरसाना पहुंचे। होली की मस्ती में मदमस्त होकर नाचने लगे। रंगों से सराबोर श्रद्धालु भी होली के उल्लास में मानो खो से गए।

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