Thursday, April 18, 2024
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कोरोना महामारी से निपट सकते हैं कौशलयुक्त चिकित्सा सहायक


संस्कृति विवि ने आयोजित की आनलाइन कार्यशाला


मथुरा। संस्कृति स्कूल आफ मेडिकल एंड एलाइड साइंसेज द्वारा एमजीएनसीआरई, मानव संसाधन मंत्रालय के सहयोग से, “साइको-सोशल स्किल्स आफ गुड हेल्परः टेक्लिंग द कोविड-19 पैंडेमिक” विषय से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मुख्य रूप से एक अच्छे सहायक के लिए मनो सामाजिक कौशल द्वारा कोविड-19 महामारी से कैसे निपटा जाता है, इस बारे में विस्तार से बताया गया। आन लाइन आयोजित इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता एमजीएनसीआरई, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सुश्री कृतिका पूनिया थीं।

कार्यशाला में मुख्य वक्ता ने एक अच्छे सहायक के लिए जरूरी कौशल के बारे में विस्तार से बताते हुए यह भी जानकारी दी कि मेडिकल सहायक अपने अंदर ये कौशल कैसे विकसित कर सकते हैं। उन्होंने कुछ केस स्टडी का हवाला देते हुए कहा कि सभी सहायकों की पांच टीम बना लेनी चाहिए। सुश्री पूनिया ने टीमों के गठन का तरीका बताते हुए कहा कि पहली टीम अस्पताल प्रबंधन टीम है। इस टीम द्वारा उपलब्ध बेड, वेंटीलेटर, आईसीयू की जानकारी हासिल करनी चाहिए। इस टीम को वैक्सीन की जागरूकता, सूचनाओं का आदान-प्रदान और कोविड वैक्सीन सेंटर पर भीड़ को संभालने की जिम्मेदारी होती है। उन्होंने बताया कि इन सभी कामों के लिए सभी सदस्यों का कुशल होना जरूरी है। साथ ही यह भी बताया कि कैसे कुशलता हासिल की जा सकती है।

टीम दो के पास गैर सरकारी संगठनों की जानकारियां साझा करने का काम, कोविड मरीजों के भोजन वितरण, कोविड हेल्पलाइन नंबर साझा करना शामिल है। टीम नंबर तीन के पास बहुत महत्वपूर्ण काम होता है कोविड पाजिटिव व्यक्ति के परिवार को भावनात्मक सहयोग देना। इसके लिए सदस्यों को विशेष कौशल हासिल करना चाहिए। टीम चार के पास मेडिकल अनिवार्यता की जानकारी को साझा करना होता है। इसमें आक्सीजन कंसंट्रेटर, रक्त प्लाज्मा संबंधी आवश्यकताओं की जानकारी साझा करना होता है। रेमिडसेविर इंजेक्शन और अन्य दवाओं की उपलब्धता, पल्स आक्सीमीटर की उपलब्धता की जानकारिया भी शामिल हैं।

मुख्य वक्ता ने बताया कि टीम पांच का काम कोविड रोगी के साथ निरंतर संपर्क में रहना, संवाद करना है। सहायक द्वारा रोगी को नैतिक समर्थन देना, सहानुभूति का कौशल, संदर्भ का एक प्रारूप प्रस्तुत करना और सांस के लिए व्यायाम के महत्व के बारे में जागरूक करना भी है। उन्होंने कहा कि सहायक के द्वारा रोगी को दुरुस्त करने में बड़ी भूमिका होती है। इसी लिए सहायक को ये कौशल हासिल करने चाहिए। कार्यशाला का शुभारंभ संस्कृति स्कूल आफ मेडिकल एंड एलाइड साइंसेज की डीन डा. पल्लवी श्रीवास्तव के स्वागत भाषण से हुआ। कार्यशाला में फिजियोथेरेपी विभाग की सहायक प्रोफेसर ड़ा. कीर्ति मिश्रा ने सभी को धन्यवाद दिया। कार्यशाला में लगभग 125 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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