Saturday, May 4, 2024
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चिकित्सा शिक्षा में मनोदृष्टि का ज्ञान होना बेहद जरूरीः डीन डॉ. आर.के. अशोका


के.डी. मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में हुए बदलाव पर कार्यशाला


मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में मंगलवार को राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग द्वारा एमबीबीएस पाठ्यक्रम में किए गए बदलावों से प्राध्यापकों को अवगत कराने कि लिए डॉ. मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली के डॉ. दिनेश कुमार की देखरेख में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारम्भ कॉलेज के डीन डॉ. आर.के. अशोका, विशेषज्ञ शिशु शल्य डॉ. श्याम बिहारी शर्मा, उप-प्राचार्य एवं चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र कुमार आदि द्वारा मां सरस्वती के छायाचित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया गया।


डीन डॉ. आर.के. अशोका ने अपने उद्बोधन में के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के प्राध्यापकों को बताया कि एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में व्यापक स्तर पर बदलाव किए गए हैं। इसकी जानकारी सभी संकाय सदस्यों को होनी चाहिए। साथ ही कुशल डॉक्टर बनने के लिए थ्योरी व प्रैक्टिकल के अलावा मनोदृष्टि का ज्ञान होना भी बेहद जरूरी है। डॉ. अशोका ने कहा कि जब युवा एमबीबीएस पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद डॉक्टर बनकर बाहर निकलता है, तो उसे व्यावहारिक भी होना चाहिए, लिहाजा हमारा दायित्व है कि छात्र-छात्राओं को सामाजिक ज्ञान भी दिया जाए। इतना ही नहीं, विद्यार्थियों को चिकित्सा सेवा की नैतिकता, आमजन से व्यवहार व विनम्रता का ज्ञान दिया जाना भी जरूरी है।


उप-प्राचार्य एवं चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने बताया कि नए पाठ्यक्रम के आधार पर अब विषयों को टुकड़ों में नहीं बल्कि पूरा पढ़ाया जाएगा। विद्यार्थियों को पता रहेगा कि उन्हें क्या पढ़ाया गया है। इससे विषय की समझ विकसित होगी। उन्होंने बताया कि प्रथम वर्ष में छात्रों को एनाटॉमी, बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी पढ़ाई जाती है, जिसमें अब तक सिर्फ थ्योरी व प्रैक्टिकल पढ़ाई जाती थी, लेकिन अब प्रथम वर्ष से ही छात्र-छात्राओं को हॉस्पिटल में तकनीकी चिकित्सा का प्रायोगिक ज्ञान कराया जाएगा। ज्ञातव्य है कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग द्वारा एमबीबीएस के नए पाठ्यक्रम में टांके लगाना, बीपी मापना, मरीजों का ग्लूकोज मापना, जीवन रक्षक तकनीक लगाना, यूरिन विश्लेषण करने की बारीकियों सहित कई महत्वपूर्ण पहलुओं को समाहित किया गया है।


कार्यशाला में शिशु शल्य विशेषज्ञ डॉ. श्याम बिहारी शर्मा, विभागाध्यक्ष प्रसूति एवं स्त्री रोग डॉ. पारुल गर्ग, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के ही डॉ. बी.पी. पाण्डेय, मेडिसिन विभाग की डॉ. मंजू पाण्डेय, विभागाध्यक्ष फिजियोलॉजी डॉ. नवीन गौड़, डॉ. राहुल गोयल, डॉ. निमिषा, डॉ. देवेश शर्मा आदि ने भी प्रशिक्षण दिया। कार्यशाला का संचालन मेडिकल एज्यूकेशन यूनिट की प्रमुख डॉ. गगनदीप कौर ने किया।


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