Tuesday, May 7, 2024
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बड़ा फैसला: किसी भी मंदिर की सम्पत्ति का मालिक सिर्फ भगवान होता है पुजारी नहीं: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को मंदिर के मालिकाना हक को लेकर एक बड़ा फ़ैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि ठाकुर विराजमान के नाम की मंदिर की किसी भी सम्पत्ति पर उस मंदिर के पुजारी का कोई मालिकाना हक़ नहीं होता है। इसलिए उनका नाम सेवायत के रूप में भी राजस्व रिकॉर्ड म दर्ज न किया जाय।


मध्य प्रदेश सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता व न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना ने ये महत्वपूर्ण फ़ैसला दिया । उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के पुराने फ़ैसलों का भी संदर्भ लेते हुए ये स्पष्ट कर दिया की मंदिर की किसी भी सम्पत्ति को बेचने का कोई अधिकार सेवयतों को नहीं है।

उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के इस आदेश को भी निरस्त कर दिया कि सेवायतों की जगह जिलाधिकारी का नाम राजस्व रिकॉर्ड दर्ज किया जाय। आदेश स्पष्ट है कि विराजमान ठाकुर की संपत्ती के मालिक स्वयम् ठाकुर जी ही रहेंगे, कोई अन्य नहीं। उल्लेखनीय है कि इस आदेश से यह स्पष्ट है कि सेवायतों द्वारा मंदिर परिसर की ज़मीनों पर प्लॉट काटकर बेचना अवैध कृत्य है।

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