Friday, April 19, 2024
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पैरामेडिकल कोर्स करने वालों को मिल रही है तुरंत नौकरी

संस्कृति विवि में पढ़ाए जा रहे हैं सभी पैरामेडिकल कोर्स

मथुरा। संस्कृति स्कूल आफ एलाइड साइंसेज की डीन डा. पल्लवी श्रीवास्तव का कहना है कि कोरोना की महामारी ने जहां संकट खड़े किए हैं वहीं युवाओं को नौकरियों के बड़े अवसर भी दिए हैं। डा. पल्लवी ने जानकारी देते हुए बताया कि संस्कृति विवि में पढ़ाए जाने वाले आप्टोमैट्री बैचलर कोर्स के बाद विद्यार्थियों के लिए रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। इस कोर्स को करने के बाद विद्यार्थी स्वास्थ्य पेशेवर बन जाते हैं जो आखों की देखभाल के लिए जाने जाते हैं। नेत्र रोगों से ग्रस्त मरीजों को समाधान प्रदान करते हैं। वैकल्पिक दृष्टि सहायक उपकरण जैसे चश्मा या कांटेक्ट लैंस का सुझाव देते हैं।

मोतियाबिंद जैसे रोगों से पीड़ित रोगियों की पूर्व और पश्चात की देखभाल करते हैं। मरीजों को सही सलाह दे सकते हैं। विदेशों में आकर्षक कैरियर विकल्पों की एक विस्तृत श्रंखला इन विद्यार्थियों के सामने होती है। इस कोर्स में प्रवेश के लिए विज्ञान विषय से12वीं पास होना जरूरी होता है। डिग्री कोर्स तीन साल का होता है और एक साल की इंटर्नशिप होती है। इन विद्यार्थियों के पास निजी के साथ सरकारी अस्पतालों में भी नौकरी के अवसर उपलब्ध होते हैं। स्वयं की दुकान भी चला सकते हैं।

उन्होंने कहा कि मेडिकल फील्ड में करियर बनाने के लिए वैसे तो कई आप्शन हैं, उन्हीं में से एक है कार्डियक केयर टेक्नीशियन। ये मेडिकल प्रोफेशनल्स की तरह काम करते हैं जो बीमारी का पता लगाने के लिए मरीजों का टेस्ट्स करते हैं और इलाज खोजने में डाक्टरों की मदद करते हैं। ये एक तरह से विशेषज्ञों के आंख और हाथ होते हैं। कार्डियो वास्कुलर टेक्नोलाजी के क्षेत्र में कैरियर बनाने वाले छात्र को विज्ञान विषय से 12वीं पास होना चाहिए। इसके बाद बीएससी कार्डियोवास्कुलर टेक्नोलाजी कोर्स किया जा सकता है।

संस्कृति विवि में इस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर छात्र अपना कैरियर बना सकते हैं। इस कोर्स को करने के बाद विद्यार्थियों को रोजगार के अवसरों की कोई कमी नहीं रहती। वर्तमान दौर में बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएं और बीमारियों के कारण कार्डियोवास्कुलर टेक्नीशियन की बड़ी मांग है। इनकी मांग देश में ही नहीं, विदेश में भी बहुत है। हास्पिटल, नर्सिंग होम, हेल्थ आर्गेनाइजेशन, एजूकेशन सेंटर में इनकी हमेशा मांग रहती है। इस कोर्स को करने के बाद कार्डियोवास्कुल टेक्नोलाजिस्ट, डायलिसिस टेक्निशियन, नेफ्रोलाजिस्ट टेक्नीशियन, मेडिकल सोनोग्राफर बन सकते हैं।

संस्कृति स्कूल आफ एलाइड साइंसेज की डीन के अनुसार मेडिकल लैब टेक्नोलाजी का कोर्स करके विद्यार्थी लैब टेक्निशयन बन सकते हैं। अगर उन्होंने विज्ञान विषय से 12वीं की कक्षा उत्तीर्ण की है तो इस पाठ्यक्रम को पूरा कर लैब टेक्नीशियन बन सकते हैं और बाडी फ्ल्यूड, टिशू, बल्ड टाइपिंग, माइक्रो आर्गेनिज्म स्क्रीनिंग, कैमिकल एनालिसिस, ह्यूमन बाडी में सैल एकाउंट टेस्ट कर सकते हैं। सैंपलिंग, टेस्टिंग, रिपोर्टिंग और डाक्यूमंटेशन करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। लैब में उपकरणों के रखरखाव और कई तरह के काम कर सकते हैं।

लैब टेक्नीशियन द्वारा किया गया टेस्ट बीमारी को पहचानने और इलाज में सहायक होता है। संस्कृति विवि में लैब टेक्नीशियन के लिए कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं, डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नीशियन(डीएमएलटी), बैचलर इन मेडिकल लैब टेक्नीशियन(बीएमएलटी)। ये ऐसे पाठ्यक्रम में जिनकी डिग्री हासिल करने वाले के पास रोजगार की कोई कमी नहीं रहती। लैब टेक्नीशियन को ब्लड बैंक, माइक्रमोबाइलाजी, मोलीक्यूलर बायोलाजी, हेमाटोलाजी, क्लीनिकल कैमिस्ट्री, इम्यूनोलाजी, साइटोटेक्नोलाजी, क्लिनिकल केमेस्ट्री के क्षेत्र मे काम कर सकते हैं।

डा. पल्लवी कहती हैं कि आजकी भागमभाग भरी जिंदगी के कारण हमेशा हमारी मासंपेशियों में खिंचाव, दर्द की शिकायत होती रहती है। इस सबके उपचार के लिए डाक्टर हमें फिजियोथैरेपी की सलाह देकर फिजियोथैरेपिस्ट के पास भेजते हैं। इसी तरह से फिजियोथैरेपिस्ट हड्डी टूटने के बाद जुड़ने पर उनके पूर्व की स्थिति में लाने में सहायता करता है। फिजियोथैरेपी में इन सभी तथ्यों को विस्तार से बताया जाता है। फिजियोथैरेपिस्ट बनने के लिए विज्ञान विषय से 12वीं पास होना जरूरी है। फिजियोथैरेपी कोर्स कर आप फिजियोथैरेपिस्ट बन सकते हैं और इस क्षेत्र में स्वयं का काम कर सकते हैं या फिर किसी अच्छे निजी चिकित्सालय में अथवा सरकारी अस्पताल में नौकरी पा सकते हैं।

आजकल फिजियोथैरेपिस्ट की जबर्दस्त मांग रहती है। फिजियोथैरेपी कोर्स करने के बाद विद्यार्थी फिजियोथैरेपिस्ट, पुनर्वासविशेषज्ञ, सलाहकार, स्पोर्ट्स फिजियोथैरेपिस्ट बन सकते हैं। चार वर्ष के पाठ्यक्रम जिसे बैचलर आफ फिसिक या फिसिकल थैरेपी की अंडर ग्रेजुएट डिग्री हासिल की जा सकती है। इसके बाद दो साल का डिग्री कोर्स कर मास्टर आफ फिजियो थैरेपी(न्यूरोलाजी), मास्टर आफ फिजियोथैरेपी(मस्कुलोएस्केलटल), मास्टर आफ फिजियो थैरेपी(स्पोर्ट्स), मास्टर आफ फिजियो थैरेपी(पीडियाट्रिक्स) बन सकते है।

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